सपा-बसपा के गढ़ में लंबी सेंध लगाने में जुटी भाजपा

भाजपालखनऊ।  उत्तर प्रदेश चुनाव के आखिरी चरण की 40 सीटों पर भाजपा काफी सक्रिय देखी गई। यूपी चुनाव के आखिरी चरण में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा),  समाजवादी पार्टी (सपा) एवं कांग्रेस गठबंधन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। यूपी के पूर्वांचल की इन 40 सीटों पर सबसे ज्यादा चर्चा भाजपा के प्रचार की रही क्योंकि पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत 19 केंद्रीय मंत्रियों को प्रचार में उतार गया। केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा की ओर से चुनाव प्रचार में उतारे नेताओं की लिस्ट कुछ ज्यादा ही लम्बी है। पीएम मोदी तीन दिनों तक वाराणसी और उसके आसपास की सीटों पर सभाएं करते रहे। उन्होंने बनारस में दो-दो रोड शो किए। पीएम मोदी वाराणसी से लोक सभा के सांसद हैं। ऐसे में भाजपा इन 40 सीटों को इसलिए ताकत नहीं झोंक रही है कि उसे कोई गढ़ बचाना है बल्कि वो भाजपा के लिए एक नया किला तैयार करना चाहती है साथ ही वोटरों को यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा का कमल यहां लोक सभा चुनाव 2014 की तरह ही खिल सकता है। लोकसभा में भाजपा को कुल 42 फीसद वोट मिले थे। भाजपा वहीं इतिहास पूर्वांचल में दोहराना चाहती है।

सियासी जानकारों के मुताबिक पीएम मोदी और उनके मंत्रिमंडल समेत भाजपा नेताओं की बड़ी जमात के पूर्वांचल में जुटने की आखिर क्या वजह है। मीडिया पूर्वांचल के इन 40 सीटों पर भाजपा के अभूतपूर्व चुनाव प्रचार की कहानी और आंकड़ों की जुवानी कुछ और है। साल 2012 के विधान सभा चुनाव में भाजपा ने इन 40 सीटों में से केवल चार पर जीत हासिल की थी। इन चार सीटों में तीन वाराणसी लोक सभा के अंतर्गत आती हैं। और बनारस की भी जिन तीन सीटों पर पार्टी जीती थी उनमें दो ही उसकी परंपरागत सीटें मानी जाती हैं। वाराणसी की शहर उत्तरी सीट पार्टी ने 2012 में करीब 20 साल बाद सपा से छीनी थी। 2012 में इन 40 में से 23 सीटें सपा ने जीती थी। बसपा ने पांच, कांग्रेस और मुख्तार अंसारी की कौमी एकता दल ने दो-दो सीटें जीती थीं।

साल 2007 के विधान सभा चुनाव में बसपा ने पूर्वांचल के 28 जिलों की 170 सीटों में से 97 जीतकर कुल 206 विधायकों के साथ राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनायी थी। परंपरागत तौर पर पूर्वांचल में असल लड़ाई सपा और बसपा के बीच ही रही है। इस चुनाव में भाजपा ये संदेश देना चाहती है कि वो विधान सभा चुनाव में भी पूर्वांचल में टक्कर में है। भाजपा को इस इलाके का विशेष ख्याल है यही जताने के लिए शायद पीएम मोदी ने इन छह जिलों के तीन सांसदों (मनोज सिन्हा, अनुप्रिया पटेल और महेंद्र नाथ पाण्डेय) को मंत्री बनाया। साथ ही चंदौली गृह मंत्री राजनाथ सिंह का गृह जनपद है।

ऐसे में भाजपा इन 40 सीटों को इसलिए ताकत नहीं झोंक रही है कि उसे कोई गढ़ बचाना है बल्कि वो भाजपा के लिए एक नया किला तैयार करना चाहती है। 2014 के लोक सभा चुनाव में नरेंद्र मोदी लहर में इन सभी सीटों पर भाजपा सबसे अधिक वोट वाली पार्टी रही थी। जिन 40 सीटों पर चुनाव होने वाले हैं वो पूर्वांचल के छह जिलों जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, चंदौली और भदोही के तहत आती हैं। मोदी लहर में भाजपा को यूपी में कुल मतदान के 42 प्रतिशत वोट मिले थे। इन पांचों जिलों की सभी संसदीय सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। लेकिन पार्टी के लिए चिंता की बात ये है कि आम मतदाता लोक सभा और विधान सभा के लिए अलग-अलग सोच के साथ मतदान करते नजर आ रहे हैं।

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