लता खोलेंगी देश का सबसे बड़ा संगीत गुरुकुल

लता मंगेशकरमुंबई| भारत रत्न गायिका लता मंगेशकर ने मुंबई में भारत के सबसे बड़े गुरुकुल ‘विश्वशांति संगीत कला एकेडमी’ शुरूकरने की घोषणा की है। यह गुरुकुल पुणे में होगा और लता उसकी अध्यक्ष होंगी।

लता मुंबई में शुक्रवार शाम आयोजित एक समारोह में इस गुरुकुल की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देशभर से महत्वाकांक्षी शास्त्रीय संगीतकारों को एक मंच प्रदान करना गुरुकुल का मुख्य उद्देश्य है, ताकि वे सर्वश्रेष्ठ गुरुओं से भारतीय संगीत की पारंपरिक शिक्षा पा सकें।

समारोह में पंडित डॉ. एन. राजम, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, पंडित उल्हास काशलकर, पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, पंडित सुरेश तलवलकर, पंडित शमा भाटे, पंडित योगेश समसी और पंडित देवकी, पंडित प्रोफेसर डॉ. विश्वनाथ करड मोजूद थे।

इन संगीतज्ञों ने महसूस किया, “हमारे देश में महत्वाकांक्षी संगीतकारों को सही प्रशिक्षण पाकर भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में कामयाबी पाने और अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका नहीं मिलता। कई बार प्रशिक्षण के अभाव में महान प्रतिभाएं भी गुमनाम होकर रह जाती हैं, क्योंकि इनके पास पेशेवर प्रशिक्षण का खर्च उठाने की क्षमता नहीं होती।”

इस पर लता ने कहा कि इन्ही मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए ‘विश्वशांति संगीत कला एकेडमी’ की शुरुआत की जा रही है, जिसमें किसी भी विद्यार्थी को शुल्क नहीं देना होगा। विद्यार्थियों को आवास एवं मेस सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी, हालांकि आवास और मेस का खर्च उन्हें स्वयं भरना होगा।”

स्वर साम्रज्ञी ने कहा, “मुझे खुशी है कि विश्वशांति संगीत कला एकेडमी विद्यार्थियों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा देने के लिए गुरुकुल प्रणाली को अपनाने जा रही है। गुरु-शिष्य परंपरा सदियों से भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करती रही है और इसने हमारे देश में भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य एवं अन्य रूपों के बेहतरीन कलाकार पैदा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”

उन्होंने कहा कि संस्थान के प्रतिभाशाली एवं समर्पित गुरु कड़ी मेहनत से सुनिश्चित करेंगे कि उनके शिष्य सर्वश्रेष्ठ मूल्यों और परंपराओं को अपनाएं, ताकि एक दिन पूरे देश को उन पर गर्व हो।”

वहीं, एमआईटी इंस्टीट्यूट के संस्थापक डॉ. विश्वनाथ डी. करड ने कहा, “हमारे लिए संस्कृति सबसे प्रमुख प्राथमिकता है। विश्वशांति संगीत कला एकेडमी के माध्यम से हम प्राचीन भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में संगीत के माध्यम से नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देना चाहते हैं।”

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