इस विश्वविद्यालय की डिस्पेंसरी को है इलाज की जरूरत

लखनऊ विश्वविद्यालयलखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय की डिस्पेंसरी को खुद इलाज की जरूरत है। यहां पर डाक्टरों के चार स्थाई पद में से तीन खाली हैं। पैरामेडिकल स्टाफ में भी दो में से सिर्फ एक फार्मासिस्ट है, ड्रेसर और नर्सिग असिस्टेंट व सफाईकर्मी के एक-एक पद हैं और वह खाली पड़े हैं। यहां पर व्यवस्था पूरी तरह जुगाड़ से चल रही है। ओपीडी सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक चलती है। इमरजेंसी की सेवा नहीं है। लविवि में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए सालाना 70 लाख रुपये का बजट है। इसमें 20 लाख रुपये मेडिकल रिम्बर्समेंट के हैं और 50 लाख रुपये दवाओं व अन्य मेडिकल सुविधाओं पर खर्च होते हैं। इसके बावजूद डिस्पेंसरी में बेहतर ढंग से इलाज नहीं मिल पाता।

लखनऊ विश्वविद्यालय के शोध छात्र अभिषेक शुक्ला की मौत

शोध छात्र अभिषेक शुक्ला की अस्थमा से हुई मौत के बाद इमरजेंसी सेवा शुरू करने की मांग छात्रों ने उठाई है।1लविवि के पुराना परिसर व जानकीपुरम में स्थित द्वितीय परिसर के लिए डिस्पेंसरी में डॉक्टरों के चार पद स्वीकृत हैं। इसमें तीन पद खाली हैं। स्थाई पद पर सिर्फ डॉक्टर मुकुल चंद्रा हैं, जिन्हें द्वितीय परिसर की जिम्मेदारी दी गई है।

यहां पर हॉस्टल और डे-स्कॉलर मिलाकर कुल पांच हजार विद्यार्थियों पर एक डॉक्टर है। इसी तरह लविवि के पुराना परिसर में डिस्पेंसरी में डॉक्टर के तीनों पद खाली हैं। इसमें डॉ. सुभाष शर्मा, डॉ. वीके मिश्र व डॉ. बीबी मिश्र के सेवानिवृत्त होने के बाद कोई स्थाई डॉक्टर नहीं आया। अस्थाई तौर पर सेवा विस्तार देकर डॉ. बीबी मिश्र से काम चलाया जा रहा है।

लखनऊ विश्वविद्यालय..

इसके अलावा 1500 रुपये प्रतिदिन मानदेय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिल्पी श्रीवास्तव काम कर रही हैं। सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक ओपीडी चलती है। इमरजेंसी सेवा ऑन कॉल है। विद्यार्थियों का कहना है कि सिर्फ बुखार, जुकाम व पेट दर्द जैसी छिटपुट बीमारी के लिए यहां इलाज करवाने आते हैं। यहां मेडिकल की अच्छी सुविधाएं मयस्सर नहीं होती।

वहीं डिस्पेंसरी के डॉक्टर बीबी मिश्र का कहना है कि वह बेहतर सुविधाएं देने पर जोर देते हैं। यहां प्रतिदिन 60 से 70 विद्यार्थी, कर्मचारी व शिक्षक आदि इलाज के लिए ओपीडी में आते हैं। लविवि में शिक्षकों, कर्मचारियों की तरह ही विद्यार्थियों को भी दस हजार रुपये के मेडिकल रिम्बर्समेंट की सुविधा मिलती थी लेकिन इसे पूर्व कुलपति प्रो. एसबी निम्से ने बंद कर दिया।

दरअसल, छात्र अभिषेक व संग्राम ने मेडिकल रिम्बर्समेंट के लिए जिस डॉक्टर के इलाज के पर्चे लगाए थे वह बहराइच का था और परिचय पत्र में विद्यार्थी का पता आजमगढ़ लिखा था। कुलपति ने जांच करवाई तो मामला फर्जी निकला। इसके बाद विश्वविद्यालय ने फूलप्रूफ इंतजाम करने की बजाय सभी छात्रों से मेडिकल रिम्बर्समेंट की सुविधा ही छीन ली।

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह

लविवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि लविवि के स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य भवनविद्यार्थियों को अच्छी मेडिकल सुविधाएं देने की व्यवस्था होगी। डॉक्टरों व स्टाफ के जो पद खाली हैं, वे आगे भरे जाएंगे। विद्यार्थियों की जरूरत के अनुसार उन्हें यहां सभी सुविधाएं दी जाएंगी।

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