रोशनी एक्ट भूमि घोटाला: घोटाले में शामिल जम्मू-कश्मीर के शीर्ष पूर्व मंत्रियों-व्यवसायियों के नामों की सूचि जारी, अभी कई नाम सामने आने बाकी

रोशनी एक्ट भूमि घाेटाले की जांच कर रही सीबीआई ने परत-दर-परत केस को खोलना शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में इस एक्ट के नाम पर हुए 25000 करोड़ रूपये के घाेटाले में अब रियासत के पूर्व मंत्रियों, नौकरशाहों, व्यापारियों और इनके रिश्तेदारों के नामों का खुलासा हुआ है। यह भी प्रकाश में आया है कि पूर्व मंत्रियों ने न सिर्फ अपने नाम पर बल्कि अपने सगे संबंधियों के नाम पर कई कनाल सरकार भूमि अपने कब्जे में ली है।

जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने पूर्व मंत्रियों, राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों व व्यवसायियों को सीधे तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए इस एक्ट को सिरे से खारिज करते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंपी है। सीबीआई ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। सांबा में जहां एक्ट के तहत कब्जाई गई भूमि को खाली करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। वहीं अब सीबीआई ने घोटाले में शामिल मंत्रियों, नौकरशाहों व अन्य रसूखदार लोगों के नाम लोगों के बीच सार्वजनिक करना भी शुरू कर दिए हैं ताकि आम जनता को भी यह पता चला कि गरीब व जरूरतमंद लोगों के नाम पर पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला सरकार द्वारा 2001 में लाई गई इस योजना का आखिरकार फायदा किन लोगों को पहुंचा।

सरकार द्वारा जारी की गई सूची में सबसे पूर्व पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हसीब द्राबू का नाम है। उन्होंने इस एक्ट के तहत एक कनाल भूमि अपने नाम पर की। यही नहीं उन्होंने अपनी मां शहजादा भानो, भाइयों एजाज हुसैन द्राबू और इफ्तिखार अहमद द्राबू के नाम पर भी एक-एक कनाल भूमि की है। इसी तरह कश्मीर के प्रसिद्ध व्यवसायी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केके आंवला ने इस एक्ट के नाम पर 11 कनाल से अधिक सरकारी भूमि अपने नाम की है। इसके अलावा उन्होंने अपने निकट संबंधियों में शामिल रचना आंवला ने एक कनाल पांच मरले, वीना आंवला ने एक कनाल तीन मरले, फकीर चंद आंवला ने एक कनाल 11 मरले भूमि अपने नाम करवाई है।

इसी सूची में अगला नाम मुश्ताक अहमद चाया का है। इनका नाम कश्मीर के प्रमुख होटल व्यवासियों में लिया जाता है। उन्होंने इस एक्ट के तहत 10 कनाल 4 मरले भूमि अपने नाम की है। पूर्व आइएएस अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित ने 1 कनाल दो मरले अपने नाम जबकि एक कनाल भूमि अपनी पत्नी दिगत पंडित के नाम कराई है। कश्मीर के ही रहने वाले सईद मुजफ्फर आगा ने दो कनाल एक मरला भूमि इस एक्ट के तहत अपने नाम करवाई है।

वहीं जम्मू संभाग में पूर्व नेकां नेता सईद आखून ने बाहु सुंजवा इलाके में एक कनाल भूमि, जेके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान ने इसी इलाके में एक कनाल, पूर्व कांग्रेस नेता अब्दुल मजिद वानी ने बाहु सुंजवां इलाके में तीन कनाल, पूर्व एडवोकेट जनरल व नेकां के पूर्व नेता असलम गोनी ने एक कनाल, पूर्व नेकां नेता अरूण चौधरी ने दो कनाल, नेकां के पूर्व मंत्री सुजाद किचलू, तनवीर किचलू ने 20 कनाल सरकारी भूमि अपने नाम करवाई। इसी तरह जम्मू के व्यवसायी गागू राम के बेटों नारू राम, बेली राम, शालो राम, राम दास, राम लाल ने बाहु चौआदी में 38 कनाल 5 मरले भूमि जबकि पूर्व पार्षद सतपाल लखोत्रा व उसके रिश्तेदार बुआ दित्ता, देवी दित्ता, राम लाल ने चौआदी में दो कनाल 13 मरने भूमि अपने नाम की है।

रोशनी एक्ट भूमि घोटाला आखिर है क्या? :-

रोशनी एक्ट योजना को नेशनल कांफ्रेंस सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य भूमि एक्ट 2001 के नाम पर लागू किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इस योजना के तहत वर्ष 1990 से हुए अतिक्रमण को इस एक्ट के दायरे में कट ऑफ सेट किया। इस एक्ट का हवाला देते हुए सरकार का कहना था कि इस फायदा सीधा उन किसानों को मिलेगा जो किसान सरकारी भूमि पर कई सालों से खेती-बाड़ी करते थे।इस एक्ट का फायद गरीब लोगों को कम अमीरों खासकर राजनीतिज्ञों, नौकरशाहों और व्यवसायियों को अधिक मिला। दरअसल सरकारी जमीनों पर गैर कानूनी कब्जों को कानूनी तौर पर मालिकाना हक देने की कवायद की गई। वर्ष 2005 में मुफ्ती मोहम्मद सैयद के नेतृत्व वाली पीडीपी सरकार ने वर्ष 2004 से कट ऑफ में छूट दी। उसके बाद गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भी कट ऑफ ईयर को वर्ष 2007 तक के लिए सीमित कर दिया।

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