राम मंदिर से पहले इंदिरा ने भी इस ऐतिहासिक इमारत के नीचे डलवाया था टाइम कैप्सूल, आज तक नहीं खुला यह राज

अयोध्या में राम मंदिर के 200 फीट नीचे एक एक टाइम कैप्सूल डाला जा रहा है। इस टाइम कैप्सूल को लेकर लोगों के मन में कई सवाल थे। हालांकि आपको बता दें कि टाइम कैप्सूल को एक ऐसे ऐतिहासिक महत्व के दस्तावेज के रूप में जाना जाता है जिसमें किसी काल की सामाजिक, राजनीतिक औऱ सांस्कृतिक स्थिति का उल्लेख हो। राममंदिर की नींव से पहले भारत में कई और ऐतिहासिक महत्व रखने वाली इमारतों की नींव में भी टाइम कैप्सूल डाले जा चुके है।

बता दें कि साल 1973 में इंदिरा गांधी की सरकार ने भी कुछ ऐसी है पहल की थी। उस दौरान लालकिले की नींव में ऐसा ही एक टाइम कैप्सूल डाला गया था। उसे कालपत्र का नाम दिया गया था। इस कालपत्र को लेकर इंदिरा पर कई आरोप भी लगे थे। कहा गया था कि इस कालपत्र में इंदिरा ने अपने परिवार का महिमामंडन किया है। हालांकि उस कालपत्र में क्या लिखा गया था यह राज आज तक खुला नहीं है।

दरअसल जिस समय यह टाइम कैप्सूल लाल किले के नीचे दफन करवाया गया था उस समय साल 1970 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सफलता चरम पर थी। सरकार चाहती थी कि आजादी के 25 साल के बाद की स्थिति को संजोकर रखा जाए। जिसके चलते टाइम कैप्सूल बनाने का आइडिया दिया गया। इसमें आजादी के 25 सालों में देश की उपलब्धि, संघर्ष के बारे में उल्लेख किया गया। इंदिरा सरकार ने उस टाइम कैप्सूल का नाम कालपत्र रखा। इस कालपत्र में अहम घटनाओं को दर्ज करने का काम आईसीएचआर को दिया गया। इसके बाद इंदिरा गांधी ने 15 अगस्त 1973 को इसे लाल किले के परिसर में दफन कर दिया। उस समय इसे लेकर काफी हंगामा हुआ था। विपक्ष का आरोप था कि इंदिरा गांधी ने टाइम कैप्सूल में अपना और अपने परिवार का महिमामंडन किया है। कई राजनीतिक दलों ने यह भी वादा किया था कि पार्टी कालपत्र को खोदकर निकालेगी और देखेगी इसमें क्या है। ऐसा हुआ भी 1977 में कांग्रेस के सत्ता से बेदखल होने के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में बनी जनता पार्टी की सरकार ने टाइम कैप्सूल को खुदवाकर निकलवाया। हालांकि इस बात का खुलासा कभी नहीं हुआ कि उस टाइम कैप्सूल में क्या था।

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