राफेल : CAG संसोधन मामले में सरकार की अपील पर बवाल, खड़े हो गए ये नए सवाल

नई दिल्ली। राफेल मामले की चर्चा लगातार बढ़ती जा रही है। कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले पैराग्राफ 25 को लेकर लोगों में विवाद की स्थिति पैदा हुई है। बता दें कोर्ट के फैसले में राफेल विमान सौदे पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक ऑडिट रिपोर्ट के बारे में लिखा गया है। हालांकि याचिकाकर्ताओं और जानकारों का कहना है कि अभी तक इस तरह का कोई भी प्रकरण ऐसा नहीं हुआ, जिसमें CAG की रिपोर्ट में संसोधन का जिक्र किया गया हो।

बता दें राफेल सौदे में विमान की कीमतों के बारे में हुए विवाद पर फैसले के 25वें पेज पर लिखा है, ‘कीमतों का विवरण नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) के साथ साझा की जा चुका है और कैग की इस रिपोर्ट को पब्लिक एकाउंट्स कमेटी (पीएसी) द्वारा जांचा जा चुका है। इस रिपोर्ट का एक संपादित अंश संसद के सामने रखा गया है और यह सार्वजनिक है।’

खबरों के मुताबिक़ इस मामले में विवाद बढ़ने के बाद केंद्र ने बीते शनिवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर कोर्ट के फैसले में उस पैराग्राफ में संशोधन की मांग की है, जिसमें नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) रिपोर्ट और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के बारे में बात की गई है।

सरकार का कहना है कि उन्होंने कोर्ट में जो जानकारी दी थी उसका मतलब ये नहीं था कि ‘कैग रिपोर्ट को पीएसी द्वारा जांचा गया है’, बल्कि उसका मतलब ये था कि ‘कैग रिपोर्ट को पीएसी द्वारा जांचा जाएगा।’

हालांकि कई सारे विशेषज्ञों, कैग और संसद के अधिकारियों ने सरकार के दावे पर सवाल उठाया है और कहा कि कैग की केवल एक रिपोर्ट होती है, कभी भी इसका कोई संशोधित अंश नहीं पेश किया गया और न ही ऐसा करने का प्रावधान है।

द इंडियन एक्सकप्रेस के मुताबिक़ लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचार्य ने कहा, “सीएजी रिपोर्ट के संशोधन से जुड़ी कोई व्यवस्था नहीं है, न ही ऐसी कोई नजीर है। संविधान के अंतर्गत, कानून के तहत ऐसी कोई बात नहीं है।”

आचार्य ने आगे कहा, “सीएजी की ओर से जो भी रिपोर्ट्स आती हैं, उन्हें संसद के समक्ष पेश किया जाता है और फिर वह पीएसी के पास जाती हैं। वित्त मंत्री रिपोर्ट्स को सदन के पटल पर रखते हैं। सीएजी, पीएसी की मदद करते हैं, असल में सीएजी को पीएसी सेटअप का हिस्सा कहा जा सकता है।”

पूर्व डिप्टी सीएजी डॉ बी.पी. माथुर ने कहा, “मैंने पहले कभी Redaction शब्द नहीं सुना। केवल एक सीएजी रिपोर्ट होती है जो कि ऑडिटर्स पूरी लगन से तैयार करते हैं, डिप्टी सीएजी उसे देखते हैं और निजी तौर पर सीएजी स्वीकृत करते हैं। एक बार संसद के सामने पेश होने के बाद, यह रिपोर्ट एक सार्वजनिक दस्तावेज बन जाती है।”

माथुर ने कहा, “सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट गोपनीय होती है और सरकार से साझा की जाती है। सरकार के जवाब अंतिम रिपोर्ट में शामिल किए जाते हैं। संसद को भेजी जाने वाली कई अंतिम रिपोर्ट्स में देशों के नाम और हथियारों के प्रकार व संख्या को राष्ट्रीय सुरक्षा के चलते छिपा लिया जाता है।”

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पीआरएस लेजिस्ले टिव रिसर्च के चक्षु रॉय ने कहा, “संविधान कहता है कि सीएजी की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखी जाएंगी। लोकसभा की कार्यवाही के नियम कहते हैं कि पटल पर रखे गए सभी दस्तावेज और कागज सार्वजनिक माने जाएंगे।”

लोकसभा के एक और पूर्व महासचिव ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, “Redaction अभी तक तो नहीं हुआ, यह शब्द व्यवस्थापन के लिए नया है। शायद आप भविष्य में Redactions देखें।”

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हाल ही में रिटायर हुए एक सीएजी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, “जो भी छिपाना होता है, वह रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले किया जाता है। अगर पीएसी रिपोर्ट में छिपाए गए हिस्सों के बारे में सीएजी से जानकारी मांगती है तो सीएजी पूरी गोपनीयता के साथ कमेटी के समझने के लिए वह जानकारी साझा करता है।” राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सीएजी अपनी वेबसाइट पर वह रिपोर्ट्स नहीं जारी करता, हालांकि उनकी हार्ड कॉपी संसद में पेश की जाती हैं।

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