मोदी लहर के बावजूद हार गया यूपी का बड़ा चेहरा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मोदी लहर चली, इतनी गजब की चली कि इसने भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड़ जीत का इतिहास रच डाला। अब तक की पार्टी की सबसे बड़ी जीत, इस मोदी लहर ने तमाम ऐसे भाजपाईयों को पार लगाया जो सियासी दांव में अपने विपक्षी उम्मीदवार से अपेक्षक्रत कम तजुर्बेकार थे। लेकिन इतिहास तो सिक्के के दोनों पहलुओं पर लिखा जाता है।
इसके दूसरे पहलू में कई भाजपा के कई ऐसे उम्मीदवार हैं जो मोदी लहर के बावजूद अपनी सीट गवां बैठे। इसमें कुछ तो बड़े और नामचीन नाम ऐसे हैं जो भाजपा के सियासी रणनीतिकार माने जाते हैं। प्रदेश पार्टी के अध्यक्ष पद का ओहदा भी संभाल चुके हैं।
इन्हीं बड़े नामों में सुमार भाजपा के लक्ष्मीकांत वाजपेयी हैं जो मेरठ से पार्टी के उम्मीदवार हैं। सपा और बसपा के दौर में भी अपनी सीट निकालते रहे, लेकिन इस चुनाव में अपनी सीट गवां बैठे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में यूपी में भाजपा ने लगभग क्लीन स्वीप मारा था, तो यहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे. इन्हीं की जगह केशव प्रसाद मौर्या को अध्यक्ष बनाया गया था।
कहा गया कि 1977 से शुरुआत करके भाजपा में एक लंबा करियर रिकॉर्ड रखने वाले लक्ष्मीकांत प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के पद से इसलिए हटाए गए क्योंकि पार्टी इस चुनाव के लिए बतौर पार्टी अध्यक्ष एक ओबीसी चेहरा चाहती थी. यूपी में लगभग 25 फीसदी वोट ओबीसी हैं। क्षेत्र में बहुत से व्यापारी भाजपा को तो वोट देना चाहते थे, लेकिन लक्ष्मीकांत बाजपेयी को नहीं. पार्टी काडर भी उनसे खास खुश नहीं था. बावजूद इसके उनका टिकट काटा नहीं गया था। सपाई रफीक़ अंसारी चुनाव में बाजी मार ले गए।