मोदी के खास मंत्री का खुलासा, केंद्र सरकार नहीं माफ करेगी किसानों का कर्ज

मोदीनई दिल्ली। केंद्र सरकार देशभर में किसानों का कर्ज माफ नहीं करेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि केंद्र कृषि कर्ज माफ करने के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार कर्ज माफ करने के बजाय राजकोषीय घाटे को काबू रखने पर जोर देगी। वित्त मंत्री का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले ही पंजाब ने 10 लाख किसानों का कृषि ऋण माफ करने का एलान किया है। इससे पहले उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र भी किसानों का कृषि ऋण माफ करने की घोषणा कर चुके हैं।

जेटली ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कृषि कर्ज माफ करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकार के समक्ष राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजटीय प्रबंधन (एफआरबीएम) कानून के लक्ष्य हैं और उनको हासिल करना है। केंद्रीय आम बजट 2017-18 में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर रखा गया है। यह बीते वित्त वर्ष के 3.5 प्रतिशत के आंकड़े से कम है। पूर्व राजस्व सचिव एनके सिंह की अध्यक्षता वाली एफआरबीएम समिति ने अगले तीन वर्षो में मार्च 2020 तक राजकोषीय घाटा नियंत्रित रखकर जीडीपी के तीन प्रतिशत पर काबू रखने को कहा है। साथ ही समिति ने लगातार घटाते हुए इसे वर्ष 2022-23 तक 2.5 प्रतिशत के स्तर पर लाने को भी कहा है।

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रबी मौसम में बंपर फसल उत्पादन के बावजूद देश के कई हिस्सों में किसान कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। दरअसल किसानों की कठिनाइयों की वजह घरेलू और ग्लोबल बाजार में कृषि उत्पादों की कीमतों में गिरावट आना है। यही वजह है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान कर्ज माफी की मांग कर रहे हैं। हालांकि रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने आगाह किया है कि अगर राज्य इसी तरह कर्ज माफी पर खजाना लुटाते रहे, तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है।

आपको बता दें कि ‘उदय’ योजना से पहले ही राज्यों पर 4.5 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ चुका है। ऐसे में अगर सभी राज्य 2019 तक कर्ज माफ करते हैं तो उनके खजाने पर लगभग 2.47 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ सकता है। वर्ष 2017-18 में राज्यों ने राजकोषीय घाटे को संयुक्त तौर पर 1.53 फीसद पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है। यह किसान कर्ज माफी के बोझ की वजह से बढ़कर 2.71 फीसद हो सकता है।

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