ब्रेक्जिट के बावजूद भारत से साझेदारी बनाये रखेगा यूरोपीय संघ

ब्रेक्जिटनई दिल्ली| ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (ईयू) से निकलने के बावजूद ईयू ने भारत के साथ साझेदारी कायम रखने की अपनी वचनबद्धता दोहराई है। भारत में ईयू के राजदूत टॉमस कोज्लोव्स्की ने बुधवार को यह बात कही। कोज्लोव्स्की ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मैं यही कहना चाहूंगा कि ब्रेक्जिट के बाद भी यूरोपीय संघ भारत के साथ अपनी साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध रहेगा। भारत आज अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका में है।”

उन्होंने कहा कि भारत चूंकि यूरोपीय संघ का 10वां कारोबारी साझेदार है, वहीं यूरोपीय संघ, भारत का सबसे बड़ा कारोबारी साझेदार है|कोज्लोव्स्की ने आगे कहा, “पिछले वर्ष भारत और यूरोपीय संघ के बीच 100 अरब यूरो का कारोबार हुआ था। मैं कहना चाहूंगा कि दोनों पक्षों के बीच कारोबार बेहद संतुलित है।”

कोज्लोव्स्की के अनुसार, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसी वर्ष मार्च में ब्रसेल्स यात्रा के दौरान भारत और यूरोपीय संघ के बीच साझेदारी और मजबूत हुई। उन्होंने कहा, “उस शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों के बीच कई समझौते हुए और वे समझौते परिणाम देने वाले साबित हुए। हमने भारत की सारी महत्वाकांक्षी योजनाओं का विश्लेषण किया है।”

कोज्लोव्स्की ने बताया कि यूरोपीय संघ ने भारत की इन महत्वाकांक्षी योजनाओं पर कुछ सुझाव भी दिए हैं, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि ये सुझाव किसी तरह की मदद के रूप में नहीं बल्कि एक साझेदार के तौर पर दिए गए हैं।

पोलैंड निवासी कोज्लोव्स्की ने आगे बताया कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु समझौता कार्यक्रम लांच हो चुका है, वहीं भारत और यूरोपीय संघ के बीच नवउद्यमों के लिए साझेदारी इसी वर्ष अक्टूबर में लांच की जाएगी।उन्होंने बतया कि यूरोपीयन इनवेस्टमेंट बैंक (ईआईबी) ने भारतीय साझेदारों के लिए 1.2 अरब यूरो का ऋण तय किया है।

कोज्लोव्स्की ने बताया, “ईआईबी ने लखनऊ मेट्रो परियोजना के लिए 45 करोड़ यूरो की पेशकश दी है। ईआईबी इसी वर्ष भारत में भी अपनी शाखा खोलेगी।”

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