बुद्धालैंड या पूर्वांचल : फिर क्यों उठी रही UP के बंटवारे की मांग
उत्तर प्रदेश में एक बड़े राजनीतिक भूचाल आने के संकेत मिल रहे हैं। खबरे आ रही है कि क्या यूपी का बंटवारा होगा? जो ठीक यूपी विधान सभा चुनाव 2022 से पहले होगा। बता दें कि यूपी में यह कोई पहला किस्सा नहीं है जब ऐसी खबरे सामने आई हों इससे पहले मायावती जब यूपी की मुख्यमंत्री थीं तब भी यूपी को चार भागों में बांटने की बातें कहीं जा रही थीं।
बता दें कि राज्य पुनर्गठन की सिफारिशें विधान सभा से पारित करवा कर केंद्र को भेजी भी गयी थीं। लेकिन तब यह नहीं हो सका। उस समय यूपी को पूर्वांचल, बुंदेखंड, हरित प्रदेश और अवध यानी उत्तर प्रदेश इन चार टुकड़ों में बांटने की बात हुई थी। वहीं, अब एक बार फिर पूर्वांचल को अलग करने की बात उठी है। दरअसल, अब यूपी में मांग उठ रही है बुद्धालैंड बनाने की। जो पूर्वांचल के 27 जिलों को मिलाकर बनेगा। वहीं, पीएम मोदी के करीबी और पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को उत्तर प्रदेश भेजने, उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाने और पूर्वांचल में उनके सक्रिय होने के बाद इस बात को और हवा मिली।
इन्हीं सब के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात हुई। पीएम आवास पर हुई ये बैठक करीब 80 मिनट तक चली। इस दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। फिलहाल, एके शर्मा अभी पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कोरोना प्रबंधन को संभाल रहे हैं। पूर्वांचल के करीब 18 जिलों पर भी उनकी नजर है।
बुद्धालैंड की मांग क्यों ?
आपको बता दें कि पूर्वांचल सेना यूपी के 27 जिलों को मिलाकर बुद्धालैंड बनाने की मांग कर रही है। 1962 में गाजीपुर के सांसद विश्वनाथ प्रसाद गहमरी ने सबसे पहले अलग पूर्वांचल राज्य की मांग उठायी थी। तब से समय-समय पर कई संगठन इसकी मांग उठाते रहे हैं। पूर्वांचल सेना का छात्र संगठन अब बुद्धालैंड राज्य के गठन की मांग कर रहा है। पूर्वांचल का सेना का कहना है कि यह पूरा इलाका भगवान बुद्ध की कर्मस्थली रहा है इसलिए इसे बुद्धालैंड के रूप में अलग पूर्वांचल की मांग पुरानी है।
सिर्फ पूर्वांचल राज्य ही नहीं बल्कि यूपी को चार टुकड़े में बांटने की बात पहले से होती रही है जिसमें अवध प्रदेश, बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिम प्रदेश यानी हरित प्रदेश में शामिल है। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने 21 नवबंर 2011 को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यूपी को चार भागों में बांटने की सिफारिश केंद्र से की थी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने भी 6 सितंबर 2013 को संसद में पूर्वांचल राज्य के गठन की मांग उठायी थी।
ऐसे में अगर पूर्वांचल अलग राज्य बनता है तो गोरखपुर भी नए राज्य का ही हिस्सा होगा। यह योगी आदित्यनाथ का गढ़ है। योगी 1998 से 2017 तक पांच बार गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। योगी गोरखपीठ के महंत भी हैं। इसका केंद्र गोरखपुर में ही है।