प्रयागराज के संगम  तट पर कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगा श्रृद्धालुओं का तांता

REPORT-SYED RAZA/PRAYAGRAJ

आज प्रयागराज के संगम  तट पर कार्तिक पूर्णिमा के पवित्र पर्व के दिन श्रधालुओ ने गंगा यमुना और अदृश्य  सरस्वती के मिलन तट  मे  आस्था की डुबकी लगाई ।कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है ।

इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि आज के दिन ही भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।

कार्तिक पूर्णिमा

ऐसी मान्यता है कि इस दिन  शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से भी पूरे वर्ष स्नान करने का फाल मिलता है।मान्यता यह भी है कि इस दिन पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में बछड़ा दान करने से मोक्ष  की प्राप्ति होती है।

जो व्यक्ति इस दिन उपवास करके भगवान भोलेनाथ का भजन और गुणगान करता है उसे अग्निष्टोम नामक यज्ञ का फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान, दीप दान, हवन, यज्ञ करने से सांसारिक पाप और ताप का अंत  होता है।

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अन्न, धन एव वस्त्र दान का बहुत महत्व बताया गया है यह मानियता है की  इस दिन जो भी दान किया जाये  उसका फल कई गुना मिलता है । मान्यता यह भी है कि इस दिन जो कुछ आज दान किया जाता है.वह  स्वर्ग में सरक्षित रहता है जो मृत्यु लोक त्यागने के बाद स्वर्ग में आपको प्राप्त होता है।

शास्त्रों में वर्णित है कि कार्तिक पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी व सरोवर एवं धर्म स्थान में जैसे, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, प्रयाग , अयोध्या, में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।

 

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