खुलासा : मोदी और उनकी खास टीम नहीं, इन दो मुख्यमंत्रियों ने कराई नोटबंदी!
नई दिल्ली। 8 नवंबर 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की थी। दावा किया गया कि यह फैसला गुप्त और विश्वसनीय लोगों तक सीमित था। इस बात पर आरोप प्रत्यारोप भी हुए। एक बार फिर पीएम मोदी के दावे पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
खुलासा हुआ है कि एमपी और हरियाणा की बीजेपी सरकार को इस गुप्त फैसले की भनक पहले ही लग गई थी।
नोटबंदी की घोषणा से कुछ महीने पहले ही एमपी की शिवराज सरकार और हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इसके बाद पड़ने वाले असर के बार जानने की कोशिश की थी।
एक अखबार के मुताबिक फरवरी-मार्च 2016 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनैन्स एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) से हरियाणा और मध्य प्रदेश की राज्य सरकारों ने संपर्क साधा था। एनआईपीएफपी को नोटबंदी के कारण किसी राज्य पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने को कहा था। आधिकारिक तौर पर जुलाई में रीसर्च की घोषणा हुई थी लेकिन रीसर्च की रिपोर्ट आने से पहले ही नोटबंदी की घोषणा हो चुकी थी।
एनआईपीएफपी नई दिल्ली स्थित एक थिंक-टैंक ऑटोनोमस सोसायटी है। खबर के मुताबकि सरकार के रीसर्च का यह कदम उठाने की वजह अर्थक्रांति प्रतिष्ठान एनजीओ की रिपोर्ट थी जिसके सुझावों का आकलन किया जाना था।
इसी एनजीओ ने करेंसी के बड़े नोटों को निकालने का भी सुझाव दिया था। मध्य प्रदेश सरकार के कर विभाग को लगा कि इस रिपोर्ट का आकलन किया जाना जरूरी था क्योंकि उसमें टैक्स सिस्टम से जुड़ी भी कुछ जरूरी बातें थी।
वहीं एनजीओ अर्थक्रांति लंबे समय से नोटबंदी पर दावा करता रहा है कि यह उनका आइडिया था। एनजीओ प्रमुख अनिल बोकिल का दावा है कि उनके संस्थान ने नरेंद्र मोदी से उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले हुई एक बैठक में नोटबंदी का सुझाव दिया था।