पाकिस्तान 55 साल में नहीं बना पाया खुद का सैटेलाइट, इसरो ने 47 साल में बना डाला वर्ल्ड रिकॉर्ड

नई दिल्‍ली। पाकिस्तान अंतरिक्ष कार्यक्रम भारत से आठ साल पहले साल 1961 में शुरू किया था। लेकिन अब पाकिस्तान अंतरिक्ष तकनीक में भारत से अभी तक पिट रहा है। भारत के इसरो ने हाल ही में 104 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। ऐसा मुकाम हासिल करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। भारत ने पीएसएलवी-सी37 रॉकेट की मदद से एकल मिशन के तहत कार्टोसैट-2 श्रृंखला के मौसम पर्यवेक्षण उपग्रह समेत 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है। लेकिन पाकिस्तान के लिए यह अभी एक सपना मात्र ही है।

इसरो ने अंतरिक्ष में एक साथ 104 रॉकेट भेजकर बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

पाकिस्तान अंतरिक्ष कार्यक्रम को शुरु हुए 55 साल हो चुके हैं, लेकिन वे खुद का सैटेलाइट तक नहीं बना पाए। वहीं इसरो ने मात्र 47 साल में सैटेलाइट लॉन्चिंग में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया। पाकिस्तान में नेशनल स्पेस एजेंसी की स्थापना भौतिकविज्ञानी अब्दुस सलाम की सलाह पर पाकिस्तानी राष्ट्रपति आयूब खान ने की थी। साल 1961 में सलाम ने स्पेस एंड अपर ऐट्मॉस्फिर कमिशन (सुपार्को) बनाया। इसका हेडक्वार्टर कराची में बनाया गया था। यह एशिया उपमहाद्वीप की पहली स्पेस एजेंसी थी। इसके लिए चार वैज्ञानिकों को अतंरिक्ष तकनीक सीखने के लिए नासा भेजा गया था। साल 1962 में सुपार्को ने अपना पहला रॉकेट रहबर-1 लॉन्च किया। यह रॉकेट नासा की मदद से कराची सेंटर से भेजा गया था। भारत ने अपना पहला रॉकेट साल 1963 में लॉन्च किया था, लेकिन यह रॉकेट थुंबा लॉन्चिंग स्टेशन पर विस्फोट का शिकार हो गया। उस समय एशिया में इसराइल और जापान के बाद पाकिस्तान रॉकेट लॉन्च करने वाला तीसरा देश बन गया था।

भारत से आठ साल पहले स्पेस एजेंसी की शुरुआत करने वाला पाकिस्तान अभी अंतरिक्ष मिशन की सफलता और तकनीक में भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन से करीब एक दशक पीछे है। इसरो लगातार आगे बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की योजना है कि वे साल 2040 तक खुद का सैटेलाइट और लॉन्चिंग क्षमता बना लेंगे।

इसरो के हाल ही के मिशन के तहत भारतीय उपग्रहों के साथ गए 101 सहयात्री उपग्रहों में से 96 उपग्रह अमेरिका के हैं। इसके अलावा पांच उपग्रह इसरो के अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के हैं, जिनमें इस्राइल, कजाखिस्तान, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के इन नैनो उपग्रहों को इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के बीच हुए समझौते के तहत प्रक्षेपित किया गया है।

 

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