पाकिस्तान बनेगा एशिया का टाइगर, इस ताकत का इस्तेमाल करना क्या भूल गए पीएम मोदी

पाकिस्ताननई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान में कौन सा देश ज्यादा ताकतवर है, अगर यह सवाल आज पूछा जाए तो निश्चित ही जवाब भारत होगा। लेकिन चार साल बाद यह जवाब बदल सकता है।

जी हां, अब एशिया में पाकिस्तान नई भूमिका हासिल करने वाला है। चीन और पाकिस्तान के बीच बन रहा चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) एशिया की तस्वीर बदलने जा रहा है।

इस बदली तस्वीर सबसे ज्यादा फायदा पाक को होगा, जबकि भारत के लिए यह चिंता का विषय बन सकता है।

हाल यह है कि विशेषज्ञ सीपीईसी को भारत और पाक के बीच ‘गेम चेंजर’ कहने लगे हैं। पाकिस्तान को एशिया का नया टाइगर बताया जा रहा है।

सीपीईसी पर चीन 75 बिलियन डॉलर खर्च करेगा। इसमें से 45 मिलियन डॉलर 2020 तक खर्च कर सीपीईसी का रूट ऑपरेशनल तौर पर शुरू कर दिया जाएगा।

सीपीईसी 3 हजार 218 किलोमीटर लंबा रूट होगा। इसे बनाने में 15 साल से ज्यादा का वक्त लगेगा।

इसमें हाइवे, रेलवे और पाइपलाइन के जरिए चीन के शिनजांग से पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ा जाएगा।

2017 तक ग्वादर इंटरनैशनल एयरपोर्ट का निर्माण कर लिया जाएगा। इसके साथ ही ग्वादर पोर्ट से जुड़े कई बड़े कामों को पूरा कर लिया जाएगा।

काराकोरम हाइवे के विस्तार से चीन और पाक आपस में जुड़ेंगे।

इसके साथ दोनों देशों में बढ़िया संपर्क के लिए फाइबर-ऑप्टिक लाइन को जगह दी जाएगी। कहा जा रहा है कि चीन का अब तक का विदेश में यह सबसे बड़ा निवेश है।

इस प्रोजेक्ट से पाकिस्तान में 2030 तक सात लाख लोगों को रोजगार मिल जाएगा। पाक की विकास दर ढाई फीसदी तक बढ़ जाएगी।

वहीं, चीन इस रूट के जरिए मध्‍य पूर्व तक अपनी आसान पहुंच बना लेगा। पेइचिंग से 45 दिनों के मुकाबले महज 10 दिनों में वेस्ट एशिया के जरिए यूरोप पहुंच जाएगा।

चीन स्ट्रैट ऑफ मलाका के जरिए यह सफर तय करेगा। पेइचिंग से अरब की खाड़ी का वास्तविक रूट 12,900 किलोमीटर का है।

चीन और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित सीपीइसी 2,000 किलोमीटर का है। इससे चीन को अमेरिकी नीतियों से मुकाबला करने में भी मदद मिलेगी।

सीपीइसी प्रॉजेक्ट में लगे 7,036 चीनी नागरिकों की सुरक्षा में 14,503 पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मी लगे हुए हैं।

दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी), अल कायदा और जुनदुल्लाह ने इस प्रोजेक्ट को बाधित करने की धमकी दी है। इसी वजह से सुरक्षा पर खास ध्‍यान दिया जा रहा है।

पाकिस्तान को जवाब दे सकता है भारत

अगर भारत सिंधु जल संधि को तोड़ दे तो पाकिस्तान की सांसें अटक जाएंगी। पाकिस्तान इस समझौते के तहत 80 फीसदी पानी ले रहा है।

दरअसल, साल 1947 में दोनों देशों में बंटवारा कुछ इस तरह हुआ कि सिंधु नदी का उद्गम क्षेत्र भारतीय सीमा में रह गया, लेकिन नदी के बेसिन का बड़ा हिस्सा नए बने देश पाकिस्तान में चला गया।

दोनों देशों के बीच लंबी सौदेबाजी के बाद जवाहरलाल नेहरू पाक के साथ सिंधु नदी के जल की साझेदारी के लिए समझौता करने पर सहमत हो गए।

1960 में हुई इस सिंधु जल संधि ने पाकिस्तान के लिए तीन सबसे बड़ी नदियों को सुरक्षित कर दिया। सिंधु नदी प्रणाली के कुल पानी का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा पाकिस्तान के खाते में चला गया, जबकि सिर्फ 19.48 प्रतिशत भाग ही भारत के हाथ आया।

बीते दिनों पाकिस्तान इस संधि का मामला अंतरराष्ट्रीय ट्रिब्यूनल ले जाने की बात कह चुका है। इस तरह वह पाक पर दबाव बनाना चाहता है।

अगर भारत भी चीन की तरह सख्‍त रुख अपना ले तो पाक का हाल बद से बदतर हो जाएगा। सीपीईसी भी काम नहीं आएगा।

बता दें कि चीन का अपने यहां से निकलने वाली नदियों के पानी पर पूरा प्रभुत्व है। चीन ने अपने 13 पड़ोसी देशों के साथ जल साझेदारी का कोई समझौता तक नहीं किया।

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