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पत्रकारों की आजादीनई दिल्ली। दुनिया भर में मीडिया पर नजर रखने वाली एक एजेंसी द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पत्रकारों की आजादी ‘हिंदू राष्ट्रवादियों’ द्वारा दी जाने वाली धमकियों की वजह से घटी है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वतंत्र पत्रकारिता वाले इंडेक्स में भारत को 180 देशों में 136वां स्थान मिला है। मतलब दुनिया के 135 देशों में पत्रकारों को भारत से अधिक आजादी हासिल है।

प्रतिष्ठित एजेंसी ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ की वार्षिक रिपोर्ट में भारत ‘वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स’ में 136वें स्थान पर है, जबकि पिछले वर्ष भारत की रैंकिंग 133 थी।

रिपोर्ट में हालांकि पूरी दुनिया में मीडिया के लिए चिंताजनक हालात की बात कही गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा हर तरह की ‘राष्ट्र-विरोधी’ अभिव्यक्तियों को राष्ट्रीय बहस से बाहर करने की कोशिशों के चलते, भारत की मुख्यधारा की मीडिया में स्व नियंत्रण (सेल्फ सेंसरशिप) का रुझान बढ़ा है।”

रिपोर्ट में भारत पर केंद्रित अध्याय को ‘(प्रधानमंत्री) मोदी के राष्ट्रवाद से खतरे’ शीर्षक दिया गया है।

रिपोर्ट में अमेरिका सहित लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में पत्रकारिता की स्वतंत्रता के घटने को लेकर आगाह किया गया है।

अमेरिका को इस सूची में 43वां, कनाडा को 22वां और न्यूजीलैंड को 13वां स्थान दिया गया है, वहीं नॉर्वे को सर्वाधिक स्वतंत्र मीडिया वाला देश बताया गया है। सूची में स्वीडन दूसरे और फिनलैंड तीसरे स्थान पर है।

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के महासचिव क्रिस्टोफ डेलोएरे ने बुधवार को पेरिस में कहा, “लोकतांत्रिक देश जिस गति से नीचे की ओर जा रहे हैं, वह उन लोगों के लिए खतरे का संकेत है जो यह समझते हैं कि अगर मीडिया की स्वतंत्रता सुरक्षित नहीं रही तो अन्य तरह की आजादियां भी सुरक्षित नहीं रहेंगी।”

चौंकाने वाली बात यह है कि मीडिया स्वतंत्रता के मामले में अफगानिस्तान, फिलिस्तीन, युगांडा और अल्जीरिया रैंकिंग में भारत से ऊपर हैं। भारत से तीन स्थान ही नीचे उसका चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान 139वें स्थान है। बांग्लादेश 146वें, रूस 148वें और चीन 176वें पायदान पर है।

भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि पत्रकारों को सोशल मीडिया पर ‘बेहद कट्टरपंथी राष्ट्रवादियों’ द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, उन्हें बदनाम करने के लिए अभियान चलाए जाते हैं, अपशब्द कहे जाते हैं और यहां तक कि शारीरिक हिंसा की धमकी दी जाती है।

रिपोर्ट के अनुसार, “सरकार की खुलकर आलोचना करने वाले पत्रकारों का मुंह बंद करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए के तहत मुकदमा दर्ज कराने की धमकियां तक दी जाती हैं, जिसके तहत देशद्रोह के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है।”

हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब तक भारत में किसी पत्रकार को देशद्रोह का दोषी करार नहीं दिया गया है, लेकिन इस तरह की धमकियों से आत्म नियंत्रण बढ़ता है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव को कम करने के लिए विदेशी अनुदान नियमों’ में बदलाव करने के बाद मीडिया की स्वतंत्रता विशेष तौर पर प्रभावित हुई है।

रिपोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर में पत्रकारिता करने के खतरों का भी जिक्र किया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत सरकार जिन क्षेत्रों को संवेदनशील मानती है, जैसे कश्मीर, उन जगहों से पत्रकारिता करना लगातार कठिन बना हुआ है और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई प्रणाली भी नहीं विकसित की गई है।”

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