नोबेल विजेता वैज्ञानिक लेव लांडाउ के 111वें जन्मदिन पर GOOGLE बना डूडल

लेव लांडाउ एक सोवियत भौतिक विज्ञानी थे जिन्होंने 20वीं शताब्दी के दौरान भौतिकी में बहुत सी महत्वपूर्ण खोजें की थीं। लेव का जन्म बाकू अजरबैजान में 22 जनवरी, 1908 को हुआ था। लाडांउ बचपन से ही गणित और विज्ञान में एक प्रतिभाशाली बच्चे थे लेकिन उन्हें अपने क्लासमेट्स के साथ जुड़ने में असहजता हुआ करती थी।

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लाडांउ ने अपनी पढ़ाई 13 साल की उम्र में पूरी कर ली थी और अपने साथ वाले बच्चों की तुलना में छोटी सी उम्र में ही कॉलेज जाना शुरू कर दिया। उनके क्लासमेट्स ने उन्हें एक शांत, शर्मीले लड़का बताया है। उनके पिता एक तेल कंपनी में इंजीनियर थे जबकि उनकी मां डॉक्टर थीं। 1924 में वह लेनिनग्राड विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग में शामिल हो गए।

इसी विश्वविद्यालय में उनका पहला पेपर, डायटोमिक अणु के वर्णक्रम के सिद्धांत पर प्रकाशित हुआ था। उस समय उनकी उम्र केवल 18 साल थी। उन्होंने 21 साल की उम्र में पीएचडी कर ली थी।

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लांडाउ को रॉकफेलर फेलोशिप मिली थी और सोवियत की तरफ से वेतन मिलता था। जिससे कि वह ज्यूरिख, कैंब्रिज और कोपेनहेगन में मौजूद अनुसंधान सुविधाएं का दौरा करने करने की अनुमति थी। यहां उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता नीलिस बोहर के साथ काम करने का मौका मिला था।

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क्वांटम थ्योरी पर काम करने के लिए मशहूर नील्स बोहर का लेव के दिमाग पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने मैट्रिक्स मैथड इन क्वांटम मैकेनिज्म, थ्योरी ऑफ सेकेंड ऑर्डर फेस ट्रांसिशंस, थ्योरी ऑफ फर्मी लिक्विड, द गिंजबुर्ग-लाडांउ थ्योरीऑफ सुपरकंडक्टिविटी के साथ अन्य की सह-खोज की थी। उन्हें 1962 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।

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