निर्देशकों ने चुनी 2018 की अपनी पसंदीदा फिल्में सुभाष के झा 

मुबई| चाहे वह ब्लैक कॉमेडी थ्रिलर ‘अंधाधुन’ हो या हल्की फुल्की कॉमेडी फिल्म ‘बधाई हो’ या फिर हॉरर कॉमेडी ‘स्त्री’, साल 2018 ने कम बजट और कंटेंट वाली फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाते हुए देखा। इन्होंने साबित किया कि बॉलीवुड केवल बड़े बजट और बड़े फिल्मी सितारों से नहीं चलता।

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साल खत्म होने से पहले फिल्म जगत के कई प्रसिद्ध फिल्म निर्देशको ने 2018 की अपनी पसंदीदा फिल्मों की जानकारी दी है, जो कुछ इस तरह है :

अश्विनी अय्यर तिवारी : ‘अंधाधुन’, ‘पटाखा’, ‘स्त्री’, ‘बधाई हो’ और ‘राजी’।

अली अब्बास जफर : ‘संजू’, ‘बधाई हो’ और ‘राजी’।

मिलाप जावेरी : ‘पद्मावत’, ‘सोनू के टीटू की स्वीटी’, ‘अंधाधुन’, ‘स्त्री’, ‘बधाई हो’, ‘परमाणु : द स्टोरी ऑफ पोखरण’, ‘केजीएफ’, ‘संजू’, ‘बागी 2’, ‘हिचकी’, ‘सुई धागा’ और खुद मेरी अपनी फिल्म ‘सत्यमेव जयते’।

हंसल मेहता : ‘अंधाधुन’, ‘स्त्री’, ‘स्टार इज बोर्न’ और ‘ओमेर्टा’।

सुरेश त्रिवेनी : ‘अंधाधुन’, ‘बधाई हो’, ‘मंटो’, ‘मित्रो’, ‘राजी’, ‘तुम्बाड’, ‘सूरमा’, ‘मुल्क’, ‘अक्टूबर’ और ‘लव सोनिया’।

साकेत चौधरी : ‘तुम्बाड’, ‘बधाई हो’, ‘मंटो’, ‘राजी’, ‘अंधाधुन’ और ‘राजी’।

राज निदीमोरू : ‘अंधाधुन’ और ‘तुम्बाड’।

अमित शर्मा : ‘राजी’..मैंने अन्य फिल्में नहीं देखीं क्योंकि मैं अपनी खुद की फिल्म ‘बधाई हो’ की शूटिंग कर रहा था।

श्रीराम राघवन : ‘तुम्बाड’, ‘राजी’, ‘अक्टूबर’, ‘मंटो’ और ‘स्त्री’।

ओनीर : ‘विलेज रॉकस्टार’, ‘अंधाधुन’, ‘स्त्री’, ‘बधाई हो’, ‘मुल्क’ और मेरी खुद की फिल्म ‘कुछ भीगे अल्फाज’।

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