नागपंचमी के अवसर पर नागकूप पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़,  

REPORT-KASHINATH/Varanasi 

नागपंचमी  यानि नागो के उत्पति का दिन   सावन  मास के पंचमी  तिथि को नागवंश का उदय हुआ था  मान्यता हैं की आज के दिन नाग देवता के दशन के करने से काल सर्प योग दूर होता हैं.

धर्म की नगरी काशी के नवापुरा क्षेत्र में एक ऐसा कुआ है जहाँ आज भी नागो का निवास है इस कुआ का वर्णन तमाम धर्म शास्त्रों में वर्णित है जिनके अनुसार इस कूप के दर्शन से नाग दंश भय के साथ ही काल सर्प योग से भी राहत होता है.

शिवभक्तों की भीड़

इसलिए इस कुंड का नाम नागकूप है  जहा दर्शन मात्र से सभी पापो की मुक्ति होती हैं. यही वजह हैं कि आज यहां भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी हैं.

ये वाराणसी में नागकूप जहा आज सुबह से ही नागपंचमी  के अवसर पर भक्तो की ताता लगी हुई हैं हर भक्त इस कूप में दूध चडाने को आतुर हैं कोई आरती कर रहा हैं तो कोई दूध चड़ाकर नागदेवता को प्रशन्न कर रहा हैं हर कोई इस कुंड के पानी में अपने पापों व् काल सर्प दोष की मुक्ति के लिए यहाँ सुबह से ही पूजा पाठ कर रहे हैं वैसे तो मंदिर साल भर खुला रहता हैं पर आज के दिन इस मंदिर में दर्शन करने से सभी पों की मुक्ति होती हैं.

इसी आश में ये भक्त आज के दिन ये इक्कठा होते हैं और इस कुंड में रहने वाले सापों को दूध चडाते हैं। करकोटक नाग तीर्थ के नाम से जाने जाने बाले इसी जगह पर शेषावतार (नागवंश) के महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी  के भाष्य की रचना की थी। मान्यता यह भी है की इस कूप का रास्ता सीधे नाग लोक को जाता है.

इस कूप की सबसे बड़ी महत्ता ये हैं की इस कूप में स्नान व् पूजा मात्र से ही सारे पापो का नस्त हो जाता हैं व् इस कूप में स्नान मात्र से जिनके कुंडली में रहू केतु बीच में सारे गृह आ जाते हैं.

जिससे  नाग दोष लग जाता हैं जिसे कालसर्प दोष कहा जाता हैं यही दोष आज के दिन इस कुंड में स्नान मात्र से दूर हो जातें हैं. पूरे विश्व में काल सर्प दोष की सिर्फ तीन जगह ही काल सर्प दोष की पूजा होती हैं उसमे से ये कुंड प्रधान कुंड हैं.

आज नागपंचमी के अवसर पर पौ फटने के साथ नर नारी पूजा का थाल ले कूप पर जा कर दूध घी और नव्वैद्य अर्पण कर परिवार को सर्प भय के साथ परिवार के उतम स्वास्थ्य की कामना कर घर में पूजा करती है मान्यताओ के आनुसार ऐसा करने से घर में साप नहीं आते साथ ही इनका भय नहीं होता.

नागपंचमी यानि नागो के उत्पति का दिन  सावन मास के पंचमी  तिथि को नागवंश का उदय हुआ था  मान्यता हैं, की आज के दिन नाग देवता के दशन के करने से काल सर्प योग दूर होता हैं.

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धर्म की नगरी काशी के नवापुरा क्षेत्र में एक ऐसा कुआ है जहाँ आज भी नागो का निवास है इस कुआ का वर्णन तमाम धर्म शास्त्रों में वर्णित है जिनके अनुसार इस कूप के दर्शन से नाग दंश भय के साथ ही काल सर्प योग से भी राहत होता है.

इसलिए इस कुंड का नाम नागकूप है, जहा दर्शन मात्र से सभी पापो की मुक्ति होती हैं. यही वजह हैं कि आज यहां भोर से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी पड़ी हैं.

ये वाराणसी में नागकूप जहा आज सुबह से ही नागपंचमी  के अवसर पर भक्तो की ताता लगी हुई हैं हर भक्त इस कूप में दूध चडाने को आतुर हैं कोई आरती कर रहा हैं तो कोई दूध चड़ाकर नागदेवता को प्रशन्न कर रहा हैं हर कोई इस कुंड के पानी में अपने पापों व् काल सर्प दोष की मुक्ति के लिए यहाँ सुबह से ही पूजा पाठ कर रहे हैं.

वैसे तो मंदिर साल भर खुला रहता हैं पर आज के दिन इस मंदिर में दर्शन करने से सभी पों की मुक्ति होती हैं इसी आश में ये भक्त आज के दिन ये इक्कठा होते हैं और इस कुंड में रहने वाले सापों को दूध चडाते हैं। करकोटक नाग तीर्थ के नाम से जाने जाने बाले इसी जगह पर शेषावतार (नागवंश) के महर्षि पतंजलि ने व्याकरणाचार्य पाणिनी  के भाष्य की रचना की थी।

मान्यता यह भी है की इस कूप का रास्ता सीधे नाग लोक को जाता है इस कूप की सबसे बड़ी महत्ता ये हैं की इस कूप में स्नान व् पूजा मात्र से ही सारे पापो का नस्त हो जाता हैं व इस कूप में स्नान मात्र से जिनके कुंडली में रहू केतु बीच में सारे गृह आ जातेहैं जिससे  नाग दोष लग जाता हैं.

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जिसे कालसर्प दोष कहा जाता हैं यही दोष आज के दिन इस कुंड में स्नान मात्र से दूर हो जातें हैं..पूरे विश्व में काल सर्प दोष की सिर्फ तीन जगह ही काल सर्प दोष की पूजा होती हैं उसमे से ये कुंड प्रधान कुंड हैं.

आज नागपंचमी के अवसर पर पौ फटने के साथ नर नारी पूजा का थाल ले कूप पर जा कर दूध घी और नव्वैद्य अर्पण कर परिवार को सर्प भय के साथ परिवार के उतम स्वास्थ्य की कामना कर घर में पूजा करती है मान्यताओ के आनुसार ऐसा करने से घर में साप नहीं आते साथ ही इनका भय नहीं होता.

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