नकदी संकट से कंगाल हुए पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने दिया बड़ा झटका

नकदी संकट से कंगाल हुए पाकिस्तान के सामने एक नई चुनौती आ गयी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की ओर से छूट दिए जाने के बावजूद पाकिस्तान के हालात सँभलने का नाम नहीं ले रहे हैं. पहली तिमाही में पाकिस्तान करदाताओं को 75 अरब रूपये की कर वापसी की शर्त से चूक सकता है. IMF ने पाकिस्तान के सामने ये शर्त रखी है कि अगर वो कर वापसी में अच्छा प्रदर्शन करता है तो IMF उनके लिए नियमों में लचीलापन ला सकता है.
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यानी पाक को एक और झटका लग सकता है। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट के मुताबिक आईएमएफ ने पाक को छह अरब डॉलर का कर्ज देते समय उसके प्राथमिक बजट घाटे को चालू वित्त वर्ष 2019-20 में कम करके 276 अरब रुपये पर लाने की शर्त रखी थी। पिछले वित्त वर्ष में ब्याज भुगतान को छोड़कर यह स्तर 1,350 अरब रुपये था।

आईएमएफ के अनुसार पहली तिमाही में प्राथमिक बजट घाटे का लक्ष्य 102 अरब रुपये रखा गया था। इसमें थोड़ी राहत प्रदान की पेशकश इसी शर्त पर रखी गई कि पाक सरकार 75 अरब रुपये से अधिक राशि प्रोत्साहन के तौर पर कर दाताओं को वापस करे।

पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की इस हफ्ते के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान सरकार अभी तक 22 अरब रुपये की ही कर-वापसी कर पाई है जो कुल लक्ष्य का मात्र 30 प्रतिशत है।

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मूडीज पाक को उन देशों की सूची में शामिल किया है जिनकी कर्ज भुगतान क्षमता बेहद खराब होती जा रही है। मूडीज के मुताबिक, विदेशी कर्ज पर बढ़ती निर्भरता और कमजोर विदेशी मुद्रा भंडार की वजह से पाकिस्तान समेत कई देशों की रेटिंग बी-3 है जो बेहद चिंताजनक है।

विकास दर में भारत अभी भी चीन से आगे

आईएमएफ ने जुलाई में 2019 और 2020 में भारत की विकास दर में सुस्ती अनुमान जाहिर करते हुए दोनों साल के लिए इसमें 0.3 फीसदी की कटौती कर दी थी। आईएमएफ ने दोनों साल के लिए क्रमश: सात फीसदी और 7.2 फीसदी का अनुमान दिया था। इससे उम्मीद से कम घरेलू मांग के संकेत मिलते हैं। हालांकि भारत अभी भी दुनिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यस्था बना हुआ है।
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