ट्राउजर में महामंडलेश्‍वर और बगल में मनीषा कोईराला

महामंडलेश्‍वर

इंदौर। सिंहस्‍थ कुंभ समाप्‍त हुए अभी कुछ ही समय हुआ है। इसी दौरान उज्‍जैन के रहने वाले शैलेष व्‍यास को सिंहस्‍थ कुंभ के दौरान जूना अखाड़े के अवधेशानंद महाराज ने महामंडलेश्‍वर की उपाधि दी थी। इसके बाद ही शैलेष व्‍यास शैलेषानंद महराज बन गये थे। सिंहस्‍थ कुंभ के समय शैलेषानंद महाराज अक्‍सर अभिनेत्री मनीषा कोइराला के साथ घूमते हुए नजर आते थे। महामंडलेश्वर उन्हें इंदौर एयरपोर्ट पर लेने और छोड़ने भी गए थे।

दो दिन पहले शैलेष व्‍यास इंदौर के सी-21 शापिंग माल में बिल्‍कुल आधुनिक लिबास (फार्मल ट्राउजर और शर्ट) में एक लड़की के साथ घूमते हुए नजर आये। उनको इस रूप में देखकर कोई अंदाजा भी नहीं लगा सकता था कि ये वही महामंडलेश्‍वर शैलेषानंद हैं।

आपको बता दें कि तीसरे शाही स्‍नान से कुछ रोज पहले ही उनके धर्म गुरू पायलट बाबा ने उन्हें महामंडलेश्वर के पद पर बकायदा वैदिक मंत्रों के साथ सुशोभित किया था। उस वक्त उज्‍जैन में पधारे पायलट बाबा के इस निर्णय का जमकर विरोध भी हुआ था, पर पायलट बाबा ने सबको शांत करा दिया था।

उज्जैन के माधव कॉलेज के स्टूडेंट रहे स्वामी शैलेष पायलट बाबा के शिष्य हैं। स्कूल में वे क्रिकेट खेलते थे, फिर छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और फिर नाटकों में काम किया। 2004 में उन्होंने पायलट बाबा से दीक्षा ले ली, बाद में संन्यास ले लिया और अध्यात्म की दुनिया में आ गए। बाबा ने उनका नाम स्वामी ध्यान श्री शैलेष रख दिया।

जूना अखाड़े के पीठाधीश अवधेशानंद जी महाराज ने उन्हें दीक्षा देकर महामंडलेश्वर बनाया। इसके बाद उन्हें स्वामी शैलेशानंद गिरी नाम दिया गया।

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इस बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि बारिश में उनका चोला खराब हो गया था इसलिए उन्होंने पैंट शर्ट पहन लिया। उनके कुछ शिष्यों को फार्मल ड्रेस दिलाने के लिए वे मॉल में गए थे।

 

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