आधुनिक युग की टेस्ट ट्यूब तकनीक द्वापरयुग में ही हो रही थी इस्तेमाल!

टेस्ट ट्यूब तकनीकनई दिल्ली। जिन तकनीकों का इस्तेमाल आज के युग में वैज्ञानिक कर रहे हैं, उनमे से कई को हमारे भारत में त्रेतायुग और द्वापरयुग में ही खोज निकाला गया था। इस बात के कई सबूत है जिन्हें दुनियाभर के कई नामी गिनामी वैज्ञनिकों ने सराहा है। जैसे :- रामायण में रावण की सवारी पुष्पक विमान।

टेस्ट ट्यूब तकनीक

जिस प्रकार रामायण में पुष्पक विमान की खासियत बताई गई है ठीक उसी प्रकार आज के इस आधुनिक युग में हेलीकॉप्टर और हवाई जहाजों में देखने को मिलती हैं।

ठीक उसी प्रकार है परमाणु उर्जा। जैसी विध्वंसकारी उर्जा का उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है ठीक उसी प्रकार की उर्जा को आधुनिक भाषा में परमाणु बम कहा जाता है।

कुछ वैसे ही थे भारत की पौराणिक कथाओं में इस्तेमाल हुए तीर कमान, जो सीधे मिसाइल की तरह लक्ष्य को तबाह कर दिया करते थे। लेकिन इन तकनीकों के अलावा एक और आधुनिक तकनीक है जिसे महाभारत काल में ही खोज निकाला गया था।

बता दें द्वापरयुग की महाभारत कथा अनुसार गांधारी (जो धृतराष्ट्र की पत्नी थीं) ने एक गोल पिंड को जन्म दिया था। इस पिंड को बाद में एक ऋषि ने अलग-अलग घड़ों में रखकर चमत्कार द्वारा 100 कौरवों का जन्म करवाया था।

इस बात का उल्लेख महाभारत में मिलता है। उस दौरान एक ऋषि द्वारा किया गया ये दिव्य चमत्कार आधुनिक युग में डॉक्टरों की टेस्ट ट्यूब तकनीक जैसा ही है। इस बात पर कई लोगों ने आश्चर्य भी व्यक्त करते रहे हैं और आशंका भी।

ठीक इसी प्रकार कई और राज भारत की महान कथाओं में दबे हुए है, जिन्हें आज की मॉडर्न दुनिया में वैज्ञनिक खोज का नाम दिया जा रहा है।

अगर ऐसा न होता तो आखिर कैसे भारत की सदियों पुरानी कथाओं में इन तकनीकों का उल्लेख मिलता जिन्हें आज के समय में विदेशी खोजकर्ताओं द्वारा खोजा बताया जाता है। यह बात प्रत्येक भारतीय के लिए विचार करने का विषय है।

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