जानिए बाइडन सरकार में कैसा होगा भारत-अमेरिका का सम्बन्ध
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बाइडन ने भले ही रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप से यह मुकाबला जीत लिया हो, लेकिन उनकी चुनौतियों का अंत यहीं नहीं समाप्त होता है। अब उनको असल चुनौतियों का सामना करना होगा। ताजा हालात पर भारत की भी नजर है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कश्मीर और मानवााधिकार मुद्दे पर अमेरिका के होने वाले राष्ट्रपति जो बाइडन और कमला हैरिस का क्या स्टैंड होता है ? क्या भारत अमेरिकी संबंधों पर इसका असर पड़ेगा। कश्मीर और मानवाधिकार मुद्दे पर क्या होगा बाइडन-हैरिस का रुख।
कश्मीर और 370 अनुच्छेद पर हैरिस का क्या है स्टैंड
कमला हैरिस भारत और अमेरिका के बीच एक मजबूत संबंधों के लिए जानी जाती है। हालांकि, जब भारत ने 370 अनुच्छेद का संशोधन किया था उस वक्त ट्रंप प्रशासन मौन था, लेकिन कमला हैरिस के बयान से भारत को असुविधा हुई थी। हैरिस ने भारत की निंदा की थी। 29 अक्टूबर, 2019 को हैरिस ने कहा था कि हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं है। उन्होंने कहा था कि हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। अगर स्थिति बदली तो हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ेगी। उस वक्त भारत ने कहा था कि यह भारत का आंतरिक मामला है, लेकिन अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बाइडन प्रशासन भारत की असल चिंता समझने को तैयार होता है या नहीं।
प्रो. पंत का कहना है कि भारत-अमेरिका के संबंधों ने पिछले दो दशकों में एक रणनीतिक गहराई हासिल की है। दोनों देशों के बीच निकटता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंधों का सत्ता परिवर्तन से बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने कहा दोनों देशों के बीच कई मसलों पर मतभेद हो सकते हैं और होते भी रहेंगे, लेकिन इसका भारतीय हितों पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इसका दोनों देशों के बीच संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेद दूर करने का बेहतरीन मैकेनिज्म है। प्रो पंत ने जोर देकर कहा कि इसके पूर्व भी कश्मीर को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी ने सवाल उठाए हैं, लेकिन इसका दोनों देशों के संबंधों पर असर नहीं पड़ा है। आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं।
पंत ने कहा कि पिछले 20 वर्षों से भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत हुए हैं। अलबत्ता किसी भी राजनीतिक दल का राष्ट्रपति रहा हो। उन्होंने कहा कि बिल क्लिंटन डेमोक्रेटिक पार्टी से थे। उनकी छह दिवसीय यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच मधुर संबंध बने। किसी अमेरिकी राष्ट्रपति की ये भारत की सबसे लंबी यात्रा थी। यह भारत-अमेरिका के संबंधों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में भी दोनों देशों के रिश्ते प्रगाढ़ हुए। बुश रिपब्लिकन पार्टी से थे। बुश की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों ने परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते से दोनों देशों के बीच रणनीतिक गहराई प्रदान की। बुश रिपब्लिकन पार्टी से थे। इसी तरह डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबाम के कार्यकाल में भी दोनों देशों के संबंध और प्रगाढ़ हुए। उन्होंने भारत की दो यात्राएं की थीं।