कुर्ता-पजामा पहने, पीठ पर बैग टांगते हुए आम यात्री बनकर जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने देर रात से लेकर अगले दिन पूर्वाह्न तक केदारनाथ यात्रा के मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग से गौरीकुंड में यात्रा व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया।
बता दें की इस दौरान गौरीकुंड में पुलिस व्यवस्था में भारी खामियां पाई गई। चौकी प्रभारी निरीक्षण के दौरान चौकी पर नहीं मिला। डीएम ने पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से गौरीकुंड चौकी प्रभारी को हटाते हुए उसके विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
डीएम नौ जून की रात को प्राइवेट वाहन से सोनप्रयाग पहुंचे। यहां से वे शटल सेवा (लोकल वाहन) से गौरीकुंड पहुंचे। जहां देर रात एक बजे घोड़ा पड़ाव पर गए। वहां सुरक्षा जवानों के अभाव में व्याप्त अव्यवस्था देखने को मिली। पाया गया कि घोड़े-खच्चर संचालकों द्वारा रास्ते पर ही खड़े किए गए।
घोड़ा पड़ाव पर पुलिस/होमगार्ड का भी कोई जवान नहीं मिला। यहां सुबह 5 से 9 बजे तक चार जवान पहुंचे, जिन्हें यह पता नहीं था कि उन्हें क्या करना है। पुलिस और प्रशासन के बीच यात्रा शुरू होने से पूर्व जो भी सहमतियां बनी थी, उसके अनुकूल घोड़ा पड़ाव पर एक भी सुविधा नहीं पाई गई।
वहीं स्थिति यह रही कि यात्रा में 24 घंटे गुलजार रहने वाले गौरीकुंड में पुलिस द्वारा सिर्फ 4 घंटे ही ड्यूटी दी जा रही है। डीएम ने पूर्वाह्न 11 बजे गौरीकुंड बाजार का भी निरीक्षण किया, तो घोड़ा पड़ाव, तप्तकुंड और शटल सेवा पर एक-एक होमगार्ड तैनात मिले। इसके अलावा गौरीकुंड में पुलिस के जवान कहीं नहीं मिले।
देखा जाये तो स्थानीय वाहन चालकों व लोगों ने भी पुलिस व्यवस्था पर नाराजगी जताई। निरीक्षण के दौरान सोनप्रयाग-गौरीकुंड के बीच लंबा जाम लगा हुआ था। शटल सेवा के वाहन भी समय पर नहीं पहुंच रहे हैं।
दरअसल जिलाधिकारी के निरीक्षण के दौरान रात एक से पूर्वाह्न 11 बजे तक गौरीकुंड, बाजार, घोड़ा पड़ाव और शटल सेवा में चौकी प्रभारी नहीं मिला। जिलाधिकारी ने सेक्टर मजिस्ट्रेट को प्रतिदिन की रिपोर्ट भेजने को कहा हैं।