जानिए क्या नरेंद्र मोदी ने वही कानून तोड़ा है, जो इंदिरा गांधी ने तोड़ा था…

नीति आयोग मुश्किल में फंस गया है. कुछ जिलाधिकारियों से ग्राउंड रिपोर्ट मंगवाने के मामले में चुनाव आयोग ने उससे जवाब तलब किया है. आरोप है कि नीति आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय यानी PMO के निर्देश पर कुछ जिलों के जिलाधिकारियों से वहां की ‘सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत’ से जुड़ी रिपोर्ट मंगवाई थी.

 

नरेन्द्र मोदी

 

 

जहां इन जिलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रैलियां होनी थीं. इससे माना गया कि इन रिपोर्टों का चुनाव में इस्तेमाल होना था. और चुनाव आचार संहिता के मुताबिक चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.

 

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लेकिन इससे ये आरोप लग रहे हैं कि नरेंद्र मोदी ने भी वही कानून तोड़ा है, जो इमरजेंसी से पहले के चुनाव में इंदिरा गांधी ने तोड़ा था. बाद में इंदिरा गांधी को इसका दोषी पाया गया था, उनका चुनाव रद्द हो गया था और फिर देश में आपातकाल लग गया था.

 

बता दें की इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव आयोग ने नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत को ये नोटिस भेजा है. इसमें उनसे ‘तत्काल’ जवाब देने को कहा गया है. हालांकि, जवाब देने के लिए कोई टाइम नहीं दिया गया है. फिर भी तत्काल शब्द से ये जाहिर होता है कि नीति आयोग को फौरन जवाब देना होगा.

 

जहाँ कांग्रेस पार्टी ने  बीते हफ्ते चुनाव आयोग से एक शिकायत की थी. कहा था कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने नीति आयोग के जरिए उन जगहों की रिपोर्टें मंगवाई थीं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रैली करना था.

 

वहीं एक वेबसाइस स्क्रॉल की एक रिपोर्ट के हवाले से चुनाव आयोग में शिकायत की गई थी. वो ये कि नीति आयोग ने मार्च के महीने में महाराष्ट्र के गोंदिया, लातूर और वरधा जिलों से एक रिपोर्ट मंगवाई थी. इस रिपोर्ट में इन जिलों की आबादी और दूसरी सुविधाओं-सहूलियतों का ब्योरा मांगा गया था.

देखा जाये तो आरोप हैं की नीति आयोग ने इसी तरह की रिपोर्ट सभी केंद्र शासित प्रदेशों के अधिकारियों से भी मंगवाई थी. इस रिपोर्ट के जरिए राज्यों के इतिहास, संस्कृति औक वहां के नायकों वगैरह का ब्योरा मंगवाया गया था. ये सब वे इलाके थे, जहां लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दौरा करना था.

कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि ये आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है. सरकार को सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से रोका जाए. आदर्श आचार संहिता में साफ लिखा गया है कि ‘मंत्री अपने ऑफिसियल टूर को चुनावी कामकाज से नहीं जोड़ेंगे. साथ ही चुनाव के वक्त सरकारी मशीनरी या कर्मचारियों का इस्तेमाल भी नहीं कर सकेंगे.’

 

दरअसल नीति आयोग चुनाव आयोग के शिकंजे में पहली बार नहीं आया है. इससे पहले राहुल गांधी की न्याय स्कीम के बारे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने विवादित टिप्पणी की थी.

 

लेकिन राजीव कुमार ने न्याय योजना को देश की इकॉनमी के लिए नुकसानदेह बताया था. चुनाव आयोग के नोटिस के बाद राजीव कुमार ने इसे अपनी निजी राय बताया था. फिर भी चुनाव आयोग ने उनकी राय पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि

 

‘लोकसेवकों को तटस्थ रवैया अपनाना चाहिए, जिससे चुनाव प्रक्रिया के सभी पक्षकारों के मन में कोई भ्रम पैदा न हो. आयोग इस नतीजे पर पहुंचा है कि आपके (राजीव कुमार) बयानों से आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है. आयोग अपेक्षा करता है कि भविष्य में आप इस बारे में ‘सतर्कता’ बरतेंगे.’

 

आदर्श चुनाव आचार संहिता चुनाव के दौरान सरकारी मशीनरी के इस्तेमाल पर रोक लगाती है. पर 7 अक्टूबर, 2014 का एक आदेश प्रधानमंत्री को उस नियम से छूट देता है, जिसमें मंत्रियों को चुनावी यात्रा के दौरान अधिकारियों के इस्तेमाल से रोका जाता है. कांग्रेस की शिकायत का चुनाव आचार संहिता और इस नियम के आधार पर परीक्षण किया जाएगा.

 

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