जानिए इसं देशो की करेंसी हैं सबसे ज्यादा कमजोर , हुआ खुलासा…

मुद्रा आज के समय में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले काफी कमजोर हो रहा हैं। बतादें की आपको पाकिस्तान के बारे सब कुछ पता तो होगा ही लेकिन मुद्रा डॉलर के मुकाबले आगे हैं। वहीं पाकिस्तान रूपये भी आगे चल रहा हैं।

 

खबरों के मुताबिक पाकिस्तान के अलावा कई देशों के नागरिक भी इस तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं। इसके लिए कई सारे कारण हैं, जिनकी वजह से इन देशों में अमेरिकी डॉलर काफी मजबूत हुआ है। कई देश ऐसे भी हैं, जिन पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया है।

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लेकिन जिन देशों की मुद्रा सबसे खराब स्तर पर है उनमें ईरान, वियतनाम, इंडोनेशिया, गिनी और लाओस शामिल हैं। इन देशों के स्थानीय लोगों को एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए भी हजारों की संख्या में अपने देश की मुद्रा खर्च करनी होगी।

यह फिलहाल विश्व की सबसे कमजोर मुद्रा है। एक डॉलर खरीदने के लिए लोगों को 42,105 ईरानी रियाल खर्च करने पड़ रहे हैं। फिलहाल अमेरिका द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध के चलते विश्व का प्रमुख कच्चा तेल उत्पादक देश मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। इससे पहले भी यह देश ईरान-इराक युद्ध, इजरायल पर हमला और परमाणु हथियारों पर धमकी के चलते प्रभावित हुआ है।

पाकिस्तान की तरह इस दक्षिण एशियाई देश ने भी अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया है। इस वजह से एक अमेरिकी डॉलर खरीदने के लिए स्थानीय लोगों को 23,208 वियतनामी डोंग खर्च करने पड़ रहे हैं। लगातार गृहयुद्ध और वैश्विक मंदी की मार का असर झेलने की वजह से यह देश भी मुश्किल आर्थिक हालातों का सामना कर रहा है।

पर्यटन के लिए मश्हूर दक्षिणपूर्वी एशियाई देश की मुद्रा भी कमजोरी के मामले में तीसरे पायदान पर है। हालांकि यह देश आर्थिक तौर पर काफी मजबूत है, फिर भी मुद्रा में कमजोरी बनी हुई है। एक डॉलर खरीदने के लिए लोगों को 14,219 वियतनामी रुपिया खर्च करना पड़ता है। मुद्रा कमजोर होने से यह टूरिज्म का अच्छा विकल्प हो गया है, क्योंकि यहां की विनिमय दर यानी करेंसी एक्सचेंज रेट बहुत कम है।

गुनिया एक अफ्रीकी देश है, जिसको दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में माना जाता है। गृहयुद्ध की स्थिति और अपराध की दर में लगातार बढ़ोतरी होने से यहां की मुद्रा में लगातार गिरावट देखी जा रही है। एक डॉलर खरीदने के लिए लोगों को 9,171 गिनियन फ्रैंक खर्च करने पड़ते हैं। गिनी की मुद्रा अफ्रीकी देश की सबसे कमजोर मुद्राओं में से एक है।

दरअसल भारत के करीब में स्थित दक्षिण एशियाई देश लाओस की मुद्रा लाओटियन किप अपने जारी होने के साल 1952 से कमजोर बनी हुई है। इस तब बहुत कम दर पर जारी किया गया था। फिलहाल एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए लोगों को 8,679 लाओटियन किप खर्च करना पड़ता है।

 

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