जंगल के बीच स्थित इस मंदिर में प्रसाद नहीं, बल्कि चढ़ती है ये चीज…सुनकर नहीं होगा विश्वास…

आमतौर पर मंदिर में धूप जलाकर भगवान के फूल प्रसाद के रूप में कोई मिठाई या फल चढ़ाए जाते हैं। दान दक्षिणा भी चढ़ाई जाती है, लेकिन हिमाचल में एक अनोखा मंदिर है, जहां चढ़ाए जाते हैं गाडि़यों के खराब पुर्जे, नम्बर प्लेट और घर के पुराने औजार।

मंदिर में न कोई छत, न पुजारी

देवता बनशीरा को जंगल का देवता कहा जाता है और यही कारण है कि इनका यह मंदिर भी जंगल के बीचों बीच स्थित है। इस मंदिर की न तो कोई छत है और न यहां कोई पुजारी रहता है। लेकिन, मान्यता मीलों दूर तक है।

जंगल में मंदिर

इस मंदिर में धूप-दीप-ध्वजा-नारियल और कोई प्रसाद नहीं चढ़ाया जाता, बल्कि गाड़ियों के खराब पुर्जे, नम्बर प्लेट और घर के पुराने औजार चढ़ाए जाते हैं।

पहले चढ़ाया जाता था पुराना औजार

मगरू महादेव मंदिर के पुजारी हेतराम का कहना है कि देवता के इतिहास के तो कोई प्रमाण नहीं, लेकिन देवता सदियों से इसी स्थान पर विराजमान है और इसे जंगल का देवता कहा जाता है।

उनका कहना है कि यहां लोग प्राचीन समय से ही मंदिर में अपने घरों के पुराने औजार देवता के मंदिर में चढ़ाते थे। समय के साथ-साथ इसमें गाड़ियों के पुर्जे और नम्बर प्लेट भी शामिल हो गए।

क्या है मान्यता?

ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उस वस्तु पर देवता की कृपा दृष्टि बनी रहती है और कोई संकट नहीं आता।

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यहां से गुजरने वाले वाहन चालक मंदिर के आगे अपनी गाड़ी को ब्रेक जरूर लगाते हैं और माथा टेककर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

मंदिर में चढ़ाने के बाद खराब नहीं होता पुर्जा

यहां के लोग बताते हैं कि अगर गाड़ी का कोई पुर्जा बार-बार खराब हो और उसे इस मंदिर में चढ़ाया जाए तो फिर वह पुर्जा खराब नहीं होता। वहीं, गाड़ियों की नम्बर प्लेट इसलिए चढ़ाई जाती हैं, ताकि देवता की कृपा गाड़ी पर बनी रहे।

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