क्या है कश्मीर के प्राचीन खीर भवानी मंदिर की मान्यता, हेमा मालिनी ने किए दर्शन

बॉलीवुड अभिनेत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) से सांसद हेमा मालिनी ने रविवार को कश्मीर के प्राचीन खीर भवानी मंदिर में पूजा की। इसके बाद उन्होंने यह मंदिर मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलमुला इलाके में स्थित है। मंदिर में दर्शन करने के बाद हेमा मालिनी ने वहां के लोगों से बातचीत की।

क्या है इस मंदिर की मान्यता

यह कश्मीरी पंडितों का प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि रावण की भक्ति से प्रसन्न होकर मां राज्ञा माता (क्षीर भवानी या राग्याना देवी) ने रावण को दर्शन दिए थे। जिसके बाद रावण ने उनकी स्थापना श्रीलंका की कुलदेवी के रूप में की थी। कुछ समय बाद रावण के व्यवहार और बुरे कर्मों के चलते देवी उससे रूष्ठ हो गईं और श्रीलंका से जाने की इच्छा व्यक्त की। इसके बाद जब भगवान राम ने रावण का वध कर दिया तो उन्होंने भगवान हनुमान को यह काम दिया कि वह देवी के लिए उनका पसंदीदा स्थान चुनें और स्थापना करें। इस पर देवी ने कश्मीर के तुलमुला को चुना।

ऐसे माना जाता है कि वनवास के दौरान राम राग्याना माता की आराधना करते थे तो मां राज्ञा माता को रागिनी कुंड में स्थापित किया गया। क्षीर भवानी माता किसी भी अनहोनी का संकेत पहले ही दे देती हैं। मंदिर के कुंड यानि चश्मे के पानी का रंग बदल जाता है। इतना ही नहीं क्षीर भवानी के रंग परिवर्तन का जिक्र आइने अकबरी में भी है। इस मंदिर का निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह ने कराया था। बाद में महाराजा हरी सिंह ने जीर्णोद्वार कराया। कश्मीर में अमरनाथ गुफा के बाद यह सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। 

LIVE TV