क्या सवर्णों को मिल पाएगा आरक्षण? अभी भी बाकी है इनकी मंजूरी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनावों से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़ा दांव खेला है। इसके तहत सरकार ने आर्थिक रुप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है।

केंद्रीय कैबिनेट से बीते सोमवार इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद आज इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा। ऐसे में अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि कहीं तीन तलाक की तरह सरकार का यह प्रस्ताव भी तो लोकसभा से लेकर राज्यसभा के चक्कर तो नहीं लगाता रहेगा।

हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों से पहले ही संसद में पास कराना चाहती है। लोकसभा में पास होने के बाद इस विधेयक को राज्यसभा में भी पेश किया जाएगा।

यह विधेयक जल्द से जल्द लागू हो जाए इसलिए राज्यसभा की कार्यवाही को भी एक दिन के लिए बढ़ाया गया है। 8 जनवरी को कांग्रेस और बीजेपी के सांसदों को दोनों पार्टियों की तरफ से व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है।

अगर आंकड़ों की ओर गौर किया जाए तो सरकार को इस विेधेयक को लोकसभा से पास कराने में कोई समस्या नहीं आने वाली है। एनडीए के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है और अन्य विपक्षी दलों ने भी इसपर अपनी समर्थन की बात कही है। लेकिन राज्यसभा में इसे लेकर पार्टियों का क्या रुख रहता है, यह देखने वाला होगा क्योंकि सत्ताधारी दल के पास संसद के ऊपरी सदन में बहुमत नहीं है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत मंगलवार को संसद में विधेयक पेश करेंगे। इस विधेयक के जरिए पहली बार गैर-जातिगत एवं गैर-धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई है।

सरकार के इस विधेयक को लेकर अगर विपक्ष के रुख की बात करें तो फिलहाल तो कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के द्वारा भी इस मसले पर सरकार से सहमति बनती दिख रही है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मसले पर कहा कि आर्थिक तौर पर गरीब व्यक्ति के बेटे या बेटी को शिक्षा एवं रोजगार में अपना हिस्सा मिलना चाहिए। हम इसके लिए हर कदम का समर्थन करेंगे।

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वहीं इस मसले पर अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार से कहा कि वह संसद सत्र का विस्तार करे और इसे तत्काल कानून बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे, वरना यह महज चुनावी स्टंट साबित होगा।

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