कोरोना की दहशत, 24 घंटे तक अस्पताल मे पड़ा रहा शव और…

सुशांत सिंह राजपूत को डायरी लिखने की आदत थी। सुशांत की डायरी को उनके आत्महत्या केस में काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि हो सकता है कि उसके जरिए पता चल पाए कि सुशांत के मन में चल क्या रहा था जो उन्होंने ये फैसला लिया। अब सुशांत की डायरी टाइम्स नाओ के हाथ लगी है। हालांकि डायरी के कुछ पन्ने फटे हुए हैं।

बिहार में कोरोना के बढ़ते संक्रमण के साथ ही राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था भी सवालों के घेरे में है. इस महामारी से लड़ाई के दौरान अस्पताल और स्वास्थ्य क्रेंद्र पर कई बार अव्यवस्था नजर आ चुकी है लेकिन रोहतास के अस्पताल में जो हुआ उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते.

रोहतास जिला के बिक्रमगंज अनुमंडल अस्पताल में 24 घंटे तक एक लावारिस शव पड़ा रहा लेकिन उसे वहां से किसी ने नहीं हटाया. वहां इलाज करा रहे लोग उस लाश के आसपास ही रहने के लिए मजबूर हो गए. जानकारी के मुताबिक बीते मंगलवार की शाम को एक शख्स की मौत हो गई थी.

उस व्यक्ति की मौत के बाद उसका शव अन्य मरीजों के बीच अस्पताल परिसर में ही 24 घंटे तक पड़ा रहा. जब इसकी जानकारी अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर को दी गई तो उन्होंने थके होने का दावा करते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया. उस व्यक्ति की मौत किस वजह से हुई है अस्पताल की तरफ से ये भी अभी बताया नहीं गया है

डॉक्टर ने कहा कि अभी मैं पूरी तरह से थका हुआ हूं इसलिए अभी कुछ बता नहीं सकता. कोरोना काल में डॉक्टर के इस जवाब से आप समझ सकते हैं कि यहां स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या हाल है.

बता दें कि यह कोई पहला मामला नहीं है. इसके 4 दिन पहले भी सासाराम जिला मुख्यालय में भी एक कोरोना संक्रमित मरीज की मौत के बाद उसके शव को अस्पताल परिसर में ही छोड़ दिया गया था. हालांकि उस शव के साथ परिजन मौजूद थे. इसके बावजूद उस शव को डिस्पोज करने में स्वास्थ्य विभाग ने 12 घंटे लगा दिए थे.

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