कॉलेजों की फंडिंग रोकना ‘आप’ का राजनीतिक स्वार्थ : बीजेपी

कॉलेजों की फंडिंगनई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली से बीजेपी सांसद महेश गिरि ने डीयू के कॉलेजों की फंडिंग रोके जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। बकौल सांसद ऐसा करना बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करना है। सांसद महेश गिरि ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को निशाने पर लेते हुए कहा कि उन्होंने वित्त विभाग को डीयू के 28 कॉलेजों की फंडिंग रोकने का आदेश दिया है। लेकिन उन्होंने ये नहीं सोचा कि इससे कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए कितनी मुश्किल पैदा हो सकती है, क्योंकि इससे कॉलेज की प्रशासनिक व्यवस्था और खर्चों पर सीधा असर पड़ेगा।

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इस रोक के बाद कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य स्टाफ की सैलरी का संकट भी खड़ा हो सकता है। विपक्ष की तरफ से इसका कारण मात्र राजनीतिक स्वार्थ माना जा रहा है। महेश गिरी के मुताबिक दिल्ली सरकार ने कॉलेजों की  फंडिंग रोककर राजनीतिक दुर्भावना का परिचय दिया है।

वहीँ दिल्ली सरकार फंडिंग रोकने के पीछे गवर्निंग बॉडी का गठन न होने की दलील दे रही है। जबकि हकीकत गवर्निंग बॉडी के लिए जो नाम सरकार की तरफ से भेजे गए हैं, वो आपत्तिजनक हैं।

महेश गिरि ने यह भी कहा कि सरकार की नियत ठीक नहीं है, वह कॉलेजों को राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करना चाहती है।

इसी उद्देश्य से कॉलेज की गवर्निग बॉडी में अपने लोगों को बैठाने का काम किया है, जबकि होता ये है कि गवर्निंग बॉडी में शिक्षा के जानकार लोग बैठाये जाते हैं। ताकि इनकी मौजूदगी में शिक्षा की गुणवत्ता और प्रशासनिक कार्यों का समन्वय बना रहे।

सरकार ने गवर्निंग बॉडी में ऐसे लोगों को रखने का प्रयास किया है, जिनका शिक्षा से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है। ये सिर्फ पार्टी के लिए एक्टिविस्ट का काम करते हैं।

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शुरुआत 14 फरवरी को विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ने गवर्निंग काउंसिल के लिए मनोनित सदस्यों वाली लिस्ट दिल्ली सरकार को भेजने से हुई।

मार्च महीने में गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की मंजूर लिस्ट को दिल्ली सरकार ने डीयू के एग्जीक्यूटिव काउंसिल को भेजी, जिस पर विश्वविद्यालय ने सरकार से दोबारा विस्तार में जानकारी मांगी।

मई माह में दिल्ली सरकार ने गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों की लिस्ट को मंजूरी के लिए विश्वविद्यालय के एग्जीक्यूटिव काउंसिल को भेजा, जिस पर विश्वविद्यालय ने मंजूरी नहीं दी। इतना ही नहीं 6 जुलाई को एग्जीक्यूटिव काउंसिल की प्रस्तावित बैठक भी टाल दी गई थी।

इसी तरह से 14 जुलाई को भी एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में भी मंजूरी नहीं मिली। बल्कि पुनर्विचार के लिए एक और कमेंटी गठित कर दी गई। इस तरह प्रक्रिया की देरी से नाराज़ उप-मुख्यमंत्री ने 28 जुलाई से कॉलेजों की फंडिंग पर रोक लगा दी।

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