इस साल नए कीर्तिमान स्थापित कर केदारनाथ यात्रा बनी लोगों की आजीविका का माध्यम
रिपोर्ट – कुलदीप राणा आजाद
रूद्रप्रयाग। विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा ने इस वर्ष कई नये कीर्तिमान स्थापित किए हैं जो न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका को लेकर भी सुखद माना जा रहा है।
केदारनाथ यात्रा ने इस वष विभिन्न क्षेत्रों में करीब चार अरब की कमाई की है जो अब तक के इतिहास में सबसे अधिक है। क्या कुछ खास रहा इस वर्ष की यात्रा में, देखिए इस खास रिपोर्ट के जरिए-
समुद्रतल से साढे ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थिति मध्य हिमालय में बसे शिव के ग्यारवे ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा ने इस वर्ष कई नये आयाम स्थापित किए हैं। जून 2013 में चैरावाड़ी ताल से आई प्रलयकारी आपदा ने केदारपुरी को पूरी तरह से नेस्तनाबूत कर दिया था और उस सैलाब में हजारों लोग भी असमय ही कालकलवित हो गए थे। इस घटना के बाद से पूरे देश-विदेश के श्रद्धालुओं में केदारनाथ के नाम से ही भय पैदा हो जाती थी।
लेकिन उसके बाद पहले हरीश रावत सरकार और फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ने रोखड़ में तब्दील हुई केदारपुरी को ऐसा सँवारा की साल-दर-साल केदारदानाथ यात्रा अपने पुराने स्वरूप में लौटने लगी। इसके बाद प्रधानमंत्री ने भी चार बार केदारनाथ आकर देश-दुनियां को केदारनाथ की सुरक्षित यात्रा का जो भरोसा और संदेश दिया, उसने केदारनाथ की यात्राकाल का इतिहास ही बदल कर रख दिया।
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यही कारण है कि इस वर्ष की यात्रा ने पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त करते हुए नया आयाम स्थापित किया है। इस वर्ष 10 लाख 21 तीर्थ यात्रियों ने केदारनाथ के दरबार में मत्था टेका। जिनमें 340 विदेशी यात्री भी शामिल हैं। जबकि वर्ष 2018 में यह संख्या 7 लाख 32 हजार 241 थी, और वर्ष 2017 में 4 लाख 71 हजार 235।
केदारनाथ की यात्रा में हर साल हो रहा इजाफा स्थानीय लोगों की आजीविका को भी पुर्नास्थापित कर रही है। जून 2013 की आपदा में केदारनाथ के 14 किमी पैदल रास्तों, यात्रा पड़ावाओं सहित पूरी केदारघाटी में होटल लाॅज और दुकानों के जरिये व्यवसाय करने वाले स्थानीय लोगों के रोजगार को तहस-नहस कर दिया था। आपदा के बाद एक दो वर्ष धीमी यात्रा चलने के कारण न केवल दुकानदारों और होटल व्यवसायों पर आजीविका का संकट पैदा हो गया था।
बल्कि केदारनाथ पैदल रास्ते पर डंडी-कंडी, पालकी, घोड़े-खच्चरों के जरिए यात्रियों को ढोकर अपनी आजीविका चलाने वाले लोगों पर भी रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा था। लेकिन साल 2016 आते-आते केदारनाथ की यात्रा ने रफ्तार पकड़ी।
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उसके बाद एक के बाद एक रिकार्ड सालदर साल बनते गए। 174 दिनों तक चली इस वर्ष की केदारनाथ यात्रा कारोबार और रोजगार के लिहाज से सबसे महत्वपूर्ण रही। यात्राकाल में 4 अरब से अधिक का करोबार हुआ साथ ही केदारघाटी के बाजारों से लेकर पैदल मार्ग और धाम में हजारों लोगों को रोजगार मिला। अब जरा ग्राफिक्स के जरिए समझने की कोशिस करते हैं कि किन क्षेत्रों कितना करोबार हुआ है।