रांची के 10 केंद्रीय विद्यालयों में शुरू हुई जापानी तकनीक से पढ़ाई

केंद्रीय विद्यालयनई दिल्ली। जापान की शिक्षा प्रौद्योगिकी कंपनी किवामी ने हाल ही में रांची के 10 केंद्रीय विद्यालयों के साथ करार किया है, जिसके तहत उसका प्रयास भारत में विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों को शिक्षा में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के इस्तेमाल के फायदों के प्रति जागरूक करना है। कंपनी ने भारत के लिए काफी बड़ी योजना बना रखी है और आने वाले महीनों में अन्य शहरों और राज्यों में भी अपनी सेवाओं का विस्तार करेगी।

कंपनी की ओर यहां जारी बयान के अनुसार, किवामी की ‘तमाई’ पद्धति को जापान के बड़ी संख्या में स्कूलों, किंडरगरटस और प्रमुख शिक्षण संस्थानों में प्रभावी रूप से अपनाया जा चुका है। ज्यामिती सीखने के लिए इसका दिलचस्प 3डी वातावरण एक नई शिक्षाप्रद तकनीक है और युवाओं में सीखने का स्तर बढ़ाने में इसने शानदार नाम कमाया है। इस तकनीक को अमेरिका, हांग कांग, थाईलैंड और वियतनाम में भी अपनाया जा चुका है।

किवामी के निदेशक सिद्धार्थ मारवाह ने कहा, “रांची के सरकारी स्कूलों में तमाई पद्धति का सफलतापूर्वक उपयोग इस बात का प्रमाण है कि देश में शिक्षण की आधुनिक पद्धतियों की स्वीकार्यता छोटे शहरों में भी बढ़ रही है और हम अन्य शहरों और कस्बों तक पहुंचने को लेकर प्रतिबद्ध हैं।”

किवामी की संस्थापक मित्सुयो तमाई ने कहा, “हमें इस बात की खुशी है कि न केवल महानगर बल्कि छोटे शहर भी अपने विद्यार्थियों को कुछ नया देने के लिए उत्साहित हैं और दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ चुकी हमारी शिक्षण पद्धति यहां खूब चलेगी और भारतीय शिक्षा व्यवस्था पर दूरगामी असर छोड़ेगी।”

मित्सुयो तमाई द्वारा स्थापित किवामी एक आउट ऑफ स्कूल प्रोग्राम है, जो बच्चे को स्कूल की सीमाओं से आगे बढ़कर दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करता है। किवामी एक स्वाध्याय और क्लाउड आधारित अध्ययन प्रणाली है, जिसमें प्री-स्कूल से लेकर 8वीं कक्षा तक के बच्चे इसका हिस्सा हो सकते हैं।

किवामी जापान में विकसित एक ग्लोबल ब्रांड ट्यूशन सेंटर है, जो रचनात्मक शिक्षण पद्धति ‘तमाई मैथड’ का उपयोग करती है। भारत में अपना पहला ट्यूशन सेंटर हम दिल्ली के पंजाबी बाग में खोल चुके हैं। तमाई पद्धति जापान में बहुत सारे स्कूलों, किंडरगार्टन्स और प्रमुख ट्यूशन सेंटर्स में अपनाई जा चुकी है।

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