जानिए क्या सच में छूने से फैलता है कुष्ठ रोग?

आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियाभर में हर साल कुष्ठ रोग (लेप्रोसी) के जितने मामले सामने आते हैं, उनमें से 60% से ज्यादा मामले सिर्फ भारत में होते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा कुष्ठ रोगी उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र राज्यों में पाए गए हैं।

कुष्ठ रोगियों से किया जाता है भेदभाव

मार्च 2018 के आंकड़ों के अनुसार बिहार में कुष्ठ रोग के 14, 338 मामले जबकि उत्तर प्रदेश में 12,583 मामले पाए गए थे। नैशनल लैप्रोसी इरैडिकेशन प्रोग्राम के तहत होने वाले नए सर्वे, यानी जनवरी 2019, के आंकड़े अभी तक आए नहीं हैं। मगर शुरुआती रिपोर्ट्स और अधिकारियों की मानें तो इस साल लगभग 50 हजार नए मामले सामने आए हैं।

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हर साल जनवरी महीने के आखिरी रविवार को विश्वभर में ‘कुष्ठ रोग दिवस’ (वर्ल्ड लेप्रोसी डे) के रूप में मनाया जाता है। इस साल भारत में ये दिवस 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर मनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि गांधी जी ने चंपारण प्रवास के दौरान कुष्ठ रोगियों की बहुत सेवा की थी।

जानिए क्या सच में छूने से फैलता है कुष्ठ रोग?

क्या सच में छूने से फैलता है कुष्ठ रोग?

बहुत से लोग मानते हैं कि कुष्ठ रोगी को छूने से ये रोग फैलता है। हालांकि ये एक संक्रामक रोग है मगर इतना संक्रामक नहीं है कि रोगी को छूने से फैले। यह रोग तभी फैलता है जब आप ऐसे मरीज के नाक और मुंह से निकलने वाले तरल पदार्थ (नाक का पानी, बलगम, थूक आदि) के संपर्क में लंबे समय तक रहते हैं, जिसने बीमारी का इलाज न कराया हो।

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बच्चों में वयस्क की तुलना में कुष्ठ रोग की संभावना अधिक होती है। जीवाणु के संपर्क में आने के बाद लक्षण दिखाई देने में आमतौर पर 3-5 साल का समय लगता है।

कुष्ठ रोगियों से किया जाता है भेदभाव

कुष्ठ रोग के कारण कई बार व्यक्ति के शरीर और त्वचा में कुछ परिवर्तन आते हैं। इसी कारण से कई बार कुष्ठ रोगियों के साथ आम लोगों का व्यवहार बहुत अच्छा नहीं होता है।

हालांकि सरकार बरसों से ये प्रचार कर रही है कि कुष्ठ रोग छूने से नहीं फैलता है और कुष्ठ रोगियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। मगर फिर भी बहुत सारे लोग अभी भी कुष्ठ रोगियों के आसपास जाने से डरते हैं।

कुछ लोग कुष्ठ रोग को मानते हैं दैवीय प्रकोप

बहुत सारे लोग कुष्ठ रोग को दैवीय प्रकोप भी मानते हैं, जबकि ये एक प्रकार का रोग है जो वायरस के कारण होता है। कुष्ठ रोग धीमी गति से विकसित होने वाले बैक्टीरिया मैकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण होता है।

कुष्ठ रोग सिर्फ त्वचा को ही प्रभावित नहीं करता बल्कि यह नसों की सतह, ऊपरी श्वास नलिका और आंखों को भी प्रभावित करता है। यदि इस रोग का इलाज समय पर न किया जाए तो इससे त्वचा भद्दी हाने के साथ ही नसें हमेशा के लिए भी क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और पैरों में सनसनाहट खत्म होकर सुन्नता उत्पन्न हो सकती है।

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क्या हैं कुष्ठ रोग के लक्षण

  • त्वचा पर किसी भी तरह का बदलाव जैसे- सफेद धब्बे, उभार, घाव आदि।
  • शरीर पर ऐसे घाव हो जाना, जो हफ्तों या महीनों तक ठीक न हों।
  • शरीर के अंगों जैसे- हाथ, पैर, बांहों और तलवों में सुन्नता महसूस करना
  • नाक से खून या पानी निकलना
  • शरीर पर ऐसे घाव जिनमें छूने पर दर्द का अनुभव न हो
  • त्वचा मोटी, कठोर और शुष्क होना
  • आंख में परेशानी और धुंधलापन या अंधापन

संभव है कुष्ठ रोग का इलाज

कुष्ठ रोग का पता अगर शुरुआती अवस्था में चल जाए और इलाज शुरू कर दिया जाए, तो इस रोग को बहुत आसानी से ठीक किया जा सकता है। दुनियाभर में कुष्ठ रोगियो को मुफ्त दवाएं दी जाती हैं।

भारत में भी ये दवाएं सरकारी अस्पतालों में आसानी से उपलब्ध हैं। बीसीजी का टीका लगाने से कुष्ठ रोग से सुरक्षा प्राप्त होती है। अगर किसी व्यक्ति को कुष्ठ रोग हो जाए, तो उसे इसका पूरा इलाज करवाना चाहिए। इलाज बीच में छोड़ने से ये रोग दोबारा हो सकता है।

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