कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर चौतरफा मुकाबला…

कभी कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली रायगंज लोकसभा सीट पर इस बार मुकाबला चतुष्कोणीय होने जा रहा है। यहां प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों को कांटे की टक्कर में एक-दूसरे के खिलाफ उतारा गया है।

कांग्रेस के उम्मीदवार 1952 से अब तक यहां 13 बार चुनाव जीत चुके हैं। पार्टी के दिग्गज नेता प्रियरंजन दासमुंशी यहां से दो बार 1999 और 2004 में सांसद रहे। उनकी पत्नी दीपा दासमुंशी भी यहां से एक बार सांसद रही हैं।

उत्तर दिनाजपुर जिले के रायगंज से चार बार माकपा के भी सांसद चुने गए हैं। मौजूदा समय में यहां से माकपा के सांसद हैं।

माकपा के नेता मोहम्मद सलीम को 2014 में सिर्फ 1,634 मतों से जीत हासिल हुई थी। वह इस बार भी मैदान में हैं और उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है।

2014 के लोकसभा चुनाव में माकपा के उम्मीदवार को 3,17,515 मत, कांग्रेस को 3,15,881, तृणमूल कांग्रेस को 2,03,131 और भाजपा को 1,92,698 मत मिले थे।

कांग्रेस नेताओं ने बाद में कहा था कि पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच मुकाबले की वजह से माकपा के उम्मीदवार को लाभ पहुंचा था।

मुर्शीदाबाद सीट के अलावा रायगंज सीट भी कांग्रेस और माकपा के बीच सीट बंटवारे वाली बातचीत में मतभेद का विषय बनी। माकपा ने 2014 में सिर्फ रायगंज और मुर्शीदाबाद से ही जीत दर्ज की थी।

भाजपा ने 2014 से 2019 के बीच वाम मोर्चा और कांग्रेस के वोट को काटने का काम किया है और इसका पता 2018 के पंचायत चुनाव के परिणामों से चलता है।

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तृणमूल कांग्रेस ने यहां से कन्हैयालाल अग्रवाल को टिकट दिया है। वह पहले इस्लामपुर से कांग्रेस के विधायक थे। भाजपा ने यहां देबाश्री चौधरी को टिकट दिया है। वहीं कांग्रेस से दीपा दासमुंशी चुनावी मैदान में हैं।

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