मोदी की प्लानिंग पर भारी दहशतगर्दों की ‘तैयारी’, चल रही आतंकियों की खुली भर्ती

कश्मीर मुद्दे पर मोदीनई दिल्ली। कश्मीर मुद्दे पर मोदी सरकार की सभी तैयारियों पर आतंकी पानी फेर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन से लेकर राज्य की सरकार तक इनका कुछ नहीं कर पा रही है। शनिवार (27 मई) को सेना द्वारा मारा गया हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर सब्जार भट के जनाजे में भारी भीड़ उभरी, जबकि प्रशासन ने प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले कुछ समय से तो दक्षिणी कश्मीर उग्रवादियों की नर्सरी बनकर उभरा है।

जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार घाटी में सक्रिय 282 दहशतगर्दों में से 112 दक्षिणी कश्मीर से हैं। इन 112 में से 99 उग्रवादी स्थानीय हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार कम से कम 20 और स्थानीय उग्रवादी इस इलाके में सक्रिय हैं। कई ऐसे हैं जिन्होंने अपने उग्रवादियों से जुड़ने की बात सार्वजनिक नहीं की है। हर हफ्ते इस इलाके से किसी ने किसी के “उग्रवाद” से जुड़ने की खबर आती है।

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इन उग्रवादियों को मोटे तौर पर तीन वर्गों में बांटा जा सकता है। 1- वे नौजवान जिन्होंने जेल भेजे जाने के बाद हथियार उठा लिया, 2- साल 2008 में हुए उपद्रव के जेल से वापस आने वालों ने दोबारा उग्रवाद का रास्ता अपना लिया और 3- वो युवा वैश्विक जिहाद में हिस्सा लेने के लिए कश्मीर में सक्रिय हैं।

पहले दोनों वर्ग के उग्रवादी “कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा” बनाना चाहते हैं। तीसरे वर्ग में कितने नौजवान शामिल हैं इसकी सटीक जानकारी नहीं है। पुलवामा के त्राल के रहने वाले 22 वर्षीय बुरहान वानी के पिछले साल जुलाई में मारे जाने के बाद से ये तीसरा वर्ग “अदृश्य दस्ते” की तरह उभरा है।

बुरहान वानी की जगह लेने वाले हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर जाकिर राशिद उर्फ मूसा ने हाल ही में हिज्बुल से नाता तोड़ा है। जाकिर से मिले संकेतों के अनुसार इस तीसरे वर्ग ने पाकिस्तान स्थित यूनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) और श्रीनगर स्थित अलगाववादी संगठन हुर्रियत से अलग राह पकड़ ली है। सरकारी अधिकारियों के अनुसार मूसा श्रीनगर के उन दो नए उग्रवादियों में था जो हिज्बुल या लश्कर-ए-तैएबा से संबंधित नहीं था।

हिज्बुल छोड़ने से पहले मूसा ने पुलवामा में उग्रवादियों से “गैर-इस्लामी” पाकिस्तानी झंडा न फहराने के लिए कहा था। उसने कश्मीर में चल रहे “संघर्ष” को “इस्लाम के लिए युद्ध” बताया था। मूसा ने गांववालों से तालिबान के समर्थन में नारे लगाने के लिए कहा था।

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