अब ऑनलाइन शॉपिंग में न करें कैशबैक की उम्मीद, आया ये बड़ा आदेश

केंद्र सरकार ने बुधवार को एक आदेश जारी करते हुए इस तरह की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। इससे खुदरा व्यापारियों को समान प्रतिस्पर्धा का मौका मिलेगा। अब तक ऐसे किसी कानून के न होने से ऑनलाइन मार्केट में एक्सक्लूसिव उत्पादों के सेल लगाकर कंपनियां मोटा कमा रहीं थीं। ऑनलाइन कंपनियों जैसे अमेजन व फ्लिपकार्ट आदि पर अब किसी भी उत्पाद की एक्सक्लूसिव बिक्री नहीं हो सकेगी।

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दरअसल, कंपनियां बाजार में अच्छी कंपनियों के आने वाले प्रमुख उत्पाद की एक्सक्लूसिव सेल लगाती थीं। इससे एक तरफ उत्पाद निर्माता कंपनी का मुफ्त में प्रचार हो जाता था, तो वहीं ट्रांसपोर्टेशन और अन्य कीमत न होने से ऑन-लाइन कंपनी को उत्पाद का मूल्य कम पड़ता था। इससे वे बहुत कम मार्जिन पर सामानों की बिक्री करती थीं।

इससे उत्पाद निर्माता कंपनी और ऑनलाइन मार्केटिंग करने वाली कंपनी दोनों को अच्छा लाभ हो रहा था। इस वर्ग में खासकर इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचे जा रहे थे। इससे इन नए उत्पादों को बाद में खुदरा बाजार में आने पर भी बहुत कम ग्राहक उसके पास जा रहे थे। खुदरा व्यापारियों का बिजनेस लगभग ठप होने की स्थिति आ गई थी। इससे बचने के लिए व्यापारियों ने सरकार से गुहार लगाई थी।

देश में इंटरनेट सेवा का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके कारण देश में चौथी श्रेणी के मोबाइल फोन का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। इसी के साथ ऑनलाइन बाजार प्रति वर्ष आठ से दस फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। 2013 में भारत में 2.3 बिलियन डालर का ऑनलाइन बिजनेस हुआ था। आने वाले समय में चीजों की बिक्री ऑन लाइन बढ़ने और खुदरा बाजार का नुकसान होने की संभावना लगातार बढ़ रही थी। इसलिए भी सही समय पर ऑनलाइन बाजार से जुड़े नियम कायदे सबके हित में बनाने की मांग उठ रही थी।

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देश में खुदरा बाजार बहुत बड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक देश में लगभग चार करोड़ खुदरा की दुकानें हैं। इनके माध्यम से लगभग चौदह करोड़ लोगों का रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। जीएसटी के कारण पहले ही सरकार से नाराज चल रहे व्यापारी ऑनलाइन कंपनियों पर कोई लगाम न लगाए जाने से भी नाराज चल रहे थे। सरकार ने जीएसटी की दर घटाकर व्यापारियों को मनाने का काम किया था।

इस नए कानून के द्वारा भी उसने इसी वर्ग को रिझाने की कोशिश की है। दूसरी तरफ आरएसएस और स्वदेशी जागरण मंच भी सरकार पर देशी कंपनियों, खुदरा व्यापारियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार पर दबाव डाल रही थी। इससे भी सरकार पर दबाव काम आया और इसका अंत इस कानून के साथ हुआ।

 

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