एमपी चुनाव में ‘आयोग’ को राजनीतिक दलों ने बनाया ‘फुटबॉल’!

भोपाल| मध्य प्रदेश में नई विधानसभा के सदस्यों के चुनाव के लिए मतदान हो चुका है और मतगणना बाकी है। मगर चुनाव आयोग की कार्यशैली पर सत्ताधारी दल भाजपा और विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इन दलों ने आयोग को फुटबॉल बनाकर रख दिया है। आयोग है कि सिर्फ सफाई देने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा है। उसकी हालत ‘दंतहीन’ जैसी हो गई है।

चुनाव आयोग

राज्य में मतदान 28 नवंबर हो चुका है। भाजपा को सत्ता में वापसी का भरोसा है तो कांग्रेस को वनवास खत्म होने का। भाजपा और कांग्रेस को क्या हासिल होता है, यह 11 दिसंबर को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा। मगर दोनों दलों के निशाने पर चुनाव आयोग है। आयोग राजनीतिक दलों के लिए रेफरी की भूमिका में होता है और है भी। उसके बाद भी दोनों दल रेफरी को ही कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आयोग पर अमानवीय रवैया अपनाने का आरोप लगा डाला है।

आयोग के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी. एल. कांताराव ने चौहान के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा है कि चौहान से वहां (विदिशा) जाने का कोई आवेदन ही नहीं मिला।

चौहान ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि चुनाव आयोग ने कांग्रेस की तुलना में भाजपा से ज्यादा सख्ती की और आचार संहिता के पालन के अतिरेक में कई बार अमानवीयता भी की।

चौहान ने कहा था, “कांग्रेस हर तरफ संदेह का वातावरण बनाने में लगी है, चुनाव को मजाक बनाने की कांग्रेस कोशिश कर रही है। दूसरी तरफ कहूं तो अधिकारियों और आयोग ने ज्यादा सख्ती की तो भाजपा के साथ की, आचार संहिता का पालन कराने के अतिरेक में आयोग ने कई बार अमानवीयता की।”

उन्होंने कहा, “मेरे मित्र, साथी व कार्यकर्ता रघुवीर दांगी की विदिशा में मृत्यु हुई, अंतिम संस्कार में जाना चाहता था, 27 नवंबर को अनुमति नहीं दी और आयोग ने कहा कि आप दूसरे विधानसभा क्षेत्र में नहीं जा सकते।”

चौहान के आयोग पर लगाए गए आरोप और उसके बाद आयोग की ओर से आई सफाई ने चौहान को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।

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कांग्रेस लगातार चुनाव आयोग पर मतदान और उसके बाद स्ट्रॉग रूम की सुरक्षा में सामने आ रही गड़बड़ियों को लेकर हमले बोल रही है। कांग्रेस प्रशासनिक अमले को आड़े हाथ ले रही है, तो दूसरी ओर सत्ताधारी दल ने आयोग पर सीधे हमला बोला है। अब आयोग सफाई दे रहा है।

इस मामले को कांग्रेस ने हाथों हाथ लपक लिया और प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने चौहान पर झूठ बोलने का आरोप लगा डाला।

कमलनाथ ने चौहान पर आरोप लगाया है कि उन्होंने झूठ परोसकर सहानुभूति लेने व गुमराह करने की कोशिश की है। यह चुनावी कार्य में लगे हजारों ईमानदार, निष्पक्ष कर्मचारियों का अपमान तो है ही, साथ ही उस दिवंगत भाजपा कार्यकर्ता का भी अपमान है, जिसे लेकर शिवराज ने झूठ बोला।

हर तरफ एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर चुनाव आयोग पर राजनीतिक दल हमले करके क्या करना चाहते हैं, उनकी मंशा आखिर क्या है।

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