इंसानियत की नई मिसाल : 25 लाख रुपये उधार लेकर बचाई ड्राइवर के बेटे की जान

इंसानियत की मिसालमुंबई। महाराष्‍ट्र में एक महिला इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए एक छह साल के बच्चे की जान बचाई है। खास बात यह है कि यह बच्चा महिला के यहां काम करने वाले ड्राइवर का है।

इंसानियत की मिसाल

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक 37 साल के रुपेश शिंदे पेशे से ड्राइवर हैं। उन्‍होंने बताया कि उनके बेटे आदित्‍य की दो ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी लेकिन कामयाबी नहीं मिली। उसके दिल में छेद है जिस कारण उसे चलने में उसकी सांस फूलने लगती और परेशानी होती थी।

उन्होने बताया कि दिसंबर की शुरुआत में चेन्‍नई में बच्‍चे का ऑपरेशन हुआ और वह बिलकुल ठीक हो गया है। छह वर्षीय आदित्‍य शिंदे के दिल में जन्‍म से छेद था। जिसके चलते उसे चलने-फिरने में दिक्कत होती थी। चेन्‍न्‍ई के फॉर्टिस मलार अस्‍पताल में सात घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद आदित्‍य की परेशानी हो गयी।

शिंदे ने बताया कि ऑपरेशन के लिए सात महीनों तक इंतजार किया क्‍योंकि एक ऑर्गन की कमी थी। बाद में सिकंदराबाद से चेन्‍नई एक हृदय भेजा गया जिसे आदित्य में प्रत्यरोपित किया।

शिंदे ने बताया कि  मेरा बेटा पूछा करता था कि वह कब चल पाएगा। मैने कहा कि मेरे एम्‍पलॉयर श्रीराम और चेन्‍नई के डॉक्‍टर्स ने यह संभव कर दिखाया। मेरी मालकिन मीनाजी ने मुझसे पूछा कि मैं परेशान क्‍यों हूं। जब मैंने अपनी परेशानी बताई तो उन्‍होंने अपने दोस्‍तों से संपर्क किया और दो तीन दिनों में 25 लाख रुपये इकट्ठे कर लिए। उन्‍होंने मुझे चेन्‍नई जाने के लिए कहा। उसके बाद जो हुआ वह इतिहास बन गया मीना जी मेरे लिए भगवान से कम नहीं हैं।

मीना फाइनेंशियल एडवाइजर के रूप में कार्यरत हैं। उन्होने बताया कि सबसे अहम बात है दो दिन में पैसा आ गया। मैंने रुपेश से कहा कि हमें हार नहीं मानना है। मैंने उसे चेन्‍नर्इ जाने को कहा। एक दोस्‍त भी उसके साथ गया जिससे भाषा की कोई दिक्‍कत ना हो।

मीना जी ने बताया कि आदित्‍य की कहानी बताती है कि कुछ भी असंभव नहीं है। मेरे दफ्तर में काम करने वाले एक शख्‍स ने जिसकी तनख्‍वाह 25 हजार रुपये है उसने 5000 रुपये का चैक दिया। उसकी मदद में सभी ने मेरा सहयोग दिया।

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