आठ माह से जेल में बंद दून के एडीजीसी की जमानत अर्जी को कोर्ट से मिली मंजूरी

एडीजीसीनैनीताल कोर्ट से संबंधित एक मामले में विशेष पक्ष में फैसला कराने के एवज में रिश्वत मांगने के आरोपी एडिशनल जिला शासकीय अधिवक्ता अशोक उभान (एडीजीसी)को जमानत पर रिहा करने के आदेश को पारित कर दिया गया। उत्तराखंड की हाई कोर्ट ने इस अर्जी को मंजूर कर लिया है। अशोक पिछले साल छह दिसंबर से जेल में थे।

अभियोजन के अनुसार दून के वेद गुप्ता ने एडीजीसी अशोक पर पांच लाख रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। गुप्ता की शिकायत पर पिछले साल छह दिसंबर को विजीलेंस ने अशोक को उसके चैंबर से रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। इतने महिनों से अशोक ने जमानत के लिए हाई कोर्ट में अर्जी लगाई।

उभान के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, जबकि शिकायतकर्ता वेद गुप्ता का आपराधिक इतिहास है और उस पर सात मामले दर्ज हैं। उभान की ओर से सशक्त पैरवी से डर कर गुप्ता ने उस पर झूठा आरोप लगाया था।

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नोटों पर सोडियम कार्बोनेट पाउडर लगाकर टेस्ट नहीं किया गया। रिश्वत देने को कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं है। उभान को रंगेहाथों गिरफ्तार नहीं किया गया। रिश्वत देने का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है और सिर्फ लोगों के बाहर से बातें सुनी हैं और उन गवाहों ने कहा है कि भारी शोरशराबे के बीच ही बातचीत सुनी। जो विश्वसनीय नहीं है। बिना सबूत के किसी को मुजरिम करार नहीं दिया जा सकता। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने जमानत अर्जी मंजूर करते हुए ट्रायल कोर्ट से जल्द मामला निस्तारित करने के निर्देश दिए। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की एकलपीठ में हुई।

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