आखिर क्यों नंदी बना भगवान शिव का वाहन, इसके पीछे छिपा है गहरा राज…

देवो के देव महादेव का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। संसार की सृष्टि उनसे ही मानी जाती है। महादेव की कृपा अगर उनके किसी भक्त पर बरस जाए तो उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाती है।

भगवान शिव के मंदिर में आप सभी ने नंदी को देखा होगा। जहां भी शिवजी की प्रतिमा या शिवलिंग हो वहां नंदी को भी स्थापित किया जाता है।

आखिर क्यों नंदी बना भगवान शिव का वाहन

हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी-देवता किसी न किसी जीव को वाहन स्वरूप अपने पास रखा है। ठीक वैसे ही शिवजी का वाहन नंदी है लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि आखिर नंदी कैसे भगवान शिव का वाहन बना? इस विषय में शायद ही किसी को पता हो।

आज हम आपको नंदी के शिव का वाहन बनने के घटनाक्रम का जिक्र करेंगे।

दरअसल एक बार शिलाद नामक किसी ऋषि को इस बात की चिंता सताने लगी कि उनकी मौत के बाद उनका वंश समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने ब्रह्मचर्य होने का वचन लिया था और इस वजह से उनकी कोई संतान नहीं थी। अपनी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने शिव जी की आराधना करनी शुरू कर दी।

शिवजी उनकी आराधना से काफी प्रसन्न हुए और उनसे आर्शीवाद मांगने को कहा। ऋषि ने उनसे एक पुत्र का आर्शीवाद मांगा।

दूसरे दिन ऋषि शिलाद को खेत में एक बहुत ही प्यारा सा शिशु दिखा। वो उस बच्चे को अपने साथ आश्रम ले आए और उसका नाम नंदी रखा। शिलाद ने नंदी को कई सारी विद्याओं का ज्ञान दिया।

कुछ सालों बाद ऋषि शिलाद के आश्रम में दो अन्य ऋषि आए। उन्होंने शिलाद को बताया कि नंदी की उम्र ज्यादा नहीं है। ऋषियों की बात सुनकर शिलाद काफी परेशान हो गए। हालांकि नंदी इससे तनिक भी विचलित नहीं हुए।

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वो भुवन नदी के किनारे जाकर शिव जी की आराधना में लग गए। नंदी की आराधना से प्रसन्न शिव जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा।

नंदी ने उनसे हमेशा के लिए उनका सानिध्य मांग लिया।

नंदी की इस बात को सुनकर शिवजी ने उन्हें गला लगाया और बैल का चेहरा देकर उन्हें अपना वाहन बनाकर सदा के लिए अपने पास रख लिया।

तब से लेकर आज तक जहां-जहां शिवजी मौजूद रहते हैं वहां नंदी की उपस्थिति अनिवार्य है।

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