गृहमंत्री की बात नहीं मानेगी सेना, कश्मीर पर जारी रहेगी जंग

कश्‍मीरश्रीनगर। जम्‍मू कश्‍मीर में हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद घाटी में आज भी तनाव का माहौल है। मंगलवार को भीड़ ने सिंचाई विभाग के ऑफिस पर हमला कर दिया। इसके बाद सीआरपीएफ के डीजी ने बोला कि कश्‍मीर में नौजवानों के घायल होने का उनको दुख है लेकिन वह अभी यहां पैलेट गन के इस्‍तेमाल पर रोक नहीं लगाएंगे।

कश्‍मीर में जारी रहेगा पैलेट गन का प्रयोग

आपको बता दें कि घाटी में पैलेट गन के इस्‍तेमाल को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर रही है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी पैलेट गन पर रोक लगाने की बात कही थी ले‍किन आज सीआरपीएफ के डीजी के बयान के बाद ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार की ओर से सेना को इस गन के इस्‍तेमाल को लेकर कोई ओदश नहीं दिए गए हैं।

घाटी में हिंसक भीड़ को काबू करने के लिए सीआरपीएफ को पैलेट गन समेत नॉन लिथेल वेपन्स का इस्तेमाल करना पड़ा था। सीआरपीएफ डीजी ने कहा कि आगे इस हथियार का विकट परिस्थितियों में सावधानीपूर्वक प्रयोग किया जाएगा। साथ ही उन्‍होंने यह आशा भी जताई कि भविष्य में इस तरह की परिस्थिति उत्पन्न न हो, इसका पूरा ख्‍याल रखा जाएगा।

पैलेट गन के इस्‍तेमाल को लेकर यह बातें सीआरपीएफ की एनुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में डीजी प्रसाद ने कहीं। उन्होंने यह भी बताया कि पैलेट गन लीथल (जानलेवा) हथियार नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर एकमात्र ऐसा राज्य है जहां जवानों पर इस तरह का पथराव किया जाता है और ऐसे में जब परिस्थति काबू से बाहर हो जाती है तो जवानों को पैलेट गन का उपयोग करना पड़ता है।

पैलेट गन पंप करने वाली बंदूक होती है। इसमें कई तरह के कारतूस इस्तेमाल होते हैं। कारतूस एक से 12 की रेंज में होते हैं, एक को सबसे तेज़ और ख़तरनाक माना जाता है। इसका असर काफ़ी दूर तक होता है। पैलेट गन से फायर किए गए एक कारतूस में 500 तक रबर और प्‍लास्टिक के छर्रे हो सकते हैं। फायर करने के बाद कारतूस हवा में फूटते हैं और छर्रे एक जगह से चारों दिशाओं में फैल जाते हैं।

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