साध्वीे प्रज्ञा सहित पांच को मालेगांव बम विस्फोट मामले में क्लीन चिट

साध्वीे प्रज्ञामुंबई। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को मालेगांव विस्फोट मामले में प्रमुख आरोपी साध्वीे प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य को क्लीन चिट देते हुए इनका नाम आरोपियों की सूची से हटा दिया। इसके बाद इनकी जेल से जल्द रिहाई का रास्ता साफ हो गया है।

साध्वीे प्रज्ञा सहित पांच को क्‍लीन चिट

सितंबर, 2008 में महाराष्ट्र के इस मुस्लिम बहुल शहर में तथाकथित ‘भगवा आतंक’ सामने आया था, जिसके ज्यादातर आरोपियों का संबंध हिंदुत्ववादी संगठनों से था। एनआईए ने एक विशेष अदालत के समक्ष दायर पूरक आरोपपत्र में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के तहत सभी आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को हटाने का फैसला किया है।

इस मामले में साध्वीे प्रज्ञा , शिवनारायण कालसांगरा, श्याम भंवरलाल साहू, लोकेश शर्मा, प्रवीण तक्कालकी उर्फ मुतालिक लोकेश शर्मा और धान सिंह चौधरी को क्लीन चिट दी गई है। एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान (आरोपियों) के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं और एनआईए ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि उनके खिलाफ अभियोजन बनाए नहीं रखा जा सकता है। एजेंसी ने कहा कि इनमें से किसी के खिलाफ भी मकोका के तहत कोई मामला नहीं पाया गया।

साध्वी के वकील संजीव पुणालेकर ने बताया कि एनआईए ने पर्याप्त सबूतों के अभाव के कारण महाराष्ट्र कंट्रोल आफ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) के तहत उनके खिलाफ सभी आरोप हटाने का फैसला किया है। पुणालेकर ने कहा कि इस मामले में छह आरोपियों के खिलाफ आरोप हटा लिए गए हैं, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया जा रहा है। उन्होंने एनआईए अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि इन छह आरोपियों को जल्द ही जेल से रिहा किया जा सकता है।

29 सितंबर, 2008 को नासिक जिले के मालेगांव शहर में एक मोटरसाइकिल में रखे गए शक्तिशाली बम में विस्फोट हो गया था, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई थी और 80 अन्य घायल हो गए थे। बाद में इसे अज्ञात ‘हिंदू चरमपंथियों’ द्वारा अंजाम दिया गया पहला आतंकी मामला बताया गया था। इस मामले की जांच पहले पुलिस और फिर राज्य के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। अंत में इसे एनआईए को सौंप दिया गया था।

इस मामले की जांच पहले तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे कर रहे थे। 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले में करकरे की मौत हो गई थी। करकरे की नेतृत्व वाली एटीएस ने मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत 14 लोगों को आरोपी बनाया था। दो अन्य लोगों रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे को ‘फरार’ बताया गया था। ये दोनों 2007 के समझौता एक्सप्रेस विस्फोट मामले में भी आरोपी हैं। एनआईए ने भी आरोपियों के खिलाफ आरोप हटाने से पहले हाल में इन्हीं 14 लोगों को आरोपियों की सूची में दिखाया था।

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