हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा फीस ढाई से तीन गुना तक बढ़ी

लखनऊ :
प्रदेश सरकार ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के परीक्षार्थियों पर आर्थिक बोझ बढ़ाते हुए सभी तरह की परीक्षा फीस ढाई से तीन गुना तक बढ़ा दी है। सरकार ने यह फैसला यूपी बोर्ड को आर्थिक संकट से उबारने की दृष्टि से लिया है। जिसको लेकर छात्र और अभिभावकों तथा शिक्षक संघों में नाराजगी है। इनका तर्क है कि एक तरफ प्रदेश सरकार यूपी बोर्ड के स्कूलों में छात्राओं के लिए इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई मुफ्त कर रही है। दूसरी ओर बोर्ड परीक्षा फीस बढ़ाकर सरकारी शिक्षा के व्यवसायीकरण का संकेत दिया है।
पिछले सात साल से यूपी बोर्ड ने परीक्षा शुल्क में किसी भी तरह की बढ़ोत्तरी नहीं की थी लेकिन इस बार ढाई गुना से लेकर पांच गुना तक बढ़ोत्तरी की गई है। बोर्ड के स्तर से की गई यह बढ़ोत्तरी छात्र-छात्राओं और अभिभावकों को रास नहीं आ रही है। शिक्षक संघ शर्मा (गुट) ने इस बढ़ोत्तरी के खिलाफ विधान परिषद और उसके बाहर आंदोलन करने की घोषणा की है। संघ की ओर से इस बारे में आंदोलन की रणनीति अगले सप्ताह तक जारी हो जाएगी।
कक्षा नौ और ग्यारह में पंजीकरण राशि 20 के स्थान पर 50 रुपये। इसमें से 10 रुपये कालेज के लिए। 20-20 रुपये राजकीय कोष और बोर्ड को मिलेंगे। पहले 20 रुपये सिर्फ बोर्ड को ही मिला करते थे। हाईस्कूल बोर्ड की संस्थागत परीक्षा शुल्क 80 के स्थान पर 200 रुपये। प्राइवेट के लिए 100 के स्थान पर 300 रूपये। इंटरमीडिएट में संस्थागत के लिए शुल्क 90 के स्थान पर 220 और प्राइवेट के लिए 150 के स्थान पर 400 रुपये।
इंटरमीडिएट कृषि भाग एक और दो दोनों में 80 के स्थान पर 220 रुपये। इसी में प्राइवेट के लिए 150 के स्थान पर 400 रुपये। डिप्लीकेट मार्कशीट के लिए 20 के स्थान पर 100 रुपये। परीक्षा पास होने के पांच साल के दौरान प्रमाणपत्र के 20 के स्थान पर 200 रुपये।
संवाददाता :- अक्षय कुमार

LIVE TV