उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश

download (17)– नैनीताल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
– तेजी से बदल रहा है सियासी घटनाक्रम
– 29 अपै्रल को सिद्ध करना होगा बहुमत
देहरादून। उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर नैनीताल हाई कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला दिया। हाई कोर्ट ने उत्तराखंड से राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने 18 मार्च की स्थिति बहाल रखने के भी आदेश दिये। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता खत्म करने के स्पीकर के फैसले को भी सही करार दिया। हरीश रावत सरकार के अल्पमत में होने की दलील पर केंद्र सरकार ने राज्य में 27 मार्च को राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। केंद्र सरकार ने कहा है कि वह इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
इस मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पूछा था कि क्या सरकार एक प्राइवेट पार्टी है? कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर आप कल राष्ट्रपति शासन हटा देते हैं और सरकार बनाने के लिए किसी और को बुलाते हैं तो ये न्याय का मजाक होगा।
राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने के आदेश देते हुए हाईकोर्ट ने 29 अप्रैल को विधानसभा में बहुमत साबित कराने को भी कहा है। हरीश रावत अपने पक्ष में बहुमत का दावा करते हैं तो वहीं बीजेपी भी 35 विधायकों के समर्थन का दावा कर रही है। अदालत के इस फैसले के बाद अद 29 अप्रैल की तारीख काफी अहम हो गई है।
कांग्रेस पार्टी ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है। हरीश रावत सरकार में मंत्री रहीं इंदिरा हृद्येश ने कहा कि अदालत का ये फैसला आगे के लिए मिसाल बनेगा।
इस बीच उत्तराखंड में राजनीतिक घटनाक्रम भी तेजी से बदल रहा है। हरीश रावत ने सभी कांग्रेसी विधायकों से देहरादून में मौजूद रहने को कहा है। इस बीच, ये भी खबर आई कि राज्यपाल के. के. पॉल शाम को 4 बजे किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले थे लेकिन अचानक उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
इससे पहले, मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बिष्ट ने कहा कि, ‘कोर्ट को इस मामले में आदेश देना है और कोई अन्याय नहीं होना चाहिए। जैसा चीफ जस्टिस ने कहा कि ऐसा तो फिर आप हर राज्य में करेंगे, राष्ट्रपति शासन लगाएंगे और फिर 15 दिन बाद उसे हटाकर किसी और को सरकार बनाने के लिए बुला लेंगे।’ जज ने कहा कि गुस्से से ज्यादा हमें दुख है कि आप इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आप कोर्ट के साथ कैसे खिलवाड़ कर सकते हैं?
उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्ट राष्ट्रपति के फैसले में दखलअंदाजी नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि राष्ट्रपति का आदेश राजा का फैसला नहीं है। राष्ट्रपति भी गलत हो सकते हैं और उनके फैसले की भी समीक्षा हो सकती है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कहकर वो राष्ट्रपति के फैसले पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन हर चीज न्यायिक समीक्षा के तहत आती है। कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर करके प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का विरोध किया था।

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