ये मशीन बनाएगी स्वच्छ भारत

स्मार्ट सिटीनई दिल्ली| स्मार्ट सिटी के सपने को अस्तित्व में लाने के लिए देश, दुनियाभर की कंपनियां कड़ी मेहनत कर रही हैं। इसी दिशा में चंडीगढ़ की स्टार्टअप कंपनी ट्रेस्टर ने ‘स्वच्छ मशीन’ ईजाद की है, जो स्वच्छ भारत अभियान को भी आसान बना सकती है।

स्मार्ट सिटी-स्वच्छ भारत

ट्रेस्टर ने राजधानी दिल्ली में दूसरे स्मार्ट सिटीज एक्सपो-2016 में अपने नए उत्पादों को आधिकारिक तौर पर पेश किया है। कंपनी अपनी स्वच्छ मशीन के जरिए स्मार्ट सिटी के साथ-साथ स्वच्छ भारत अभियान को कामयाब बनाने की दिशा में पहल कर रही है।

स्वच्छ मशीन में 200 एमएल तक की प्लास्टिक की बोतल को डालकर उसे रिसाइकिल किया जाता है। मशीन में बोतल डालने के बाद वह स्क्रीन पर दो विकल्प दिखाएगी। ‘पानी लें या ट्रेस्ट वैल्यू’ प्राप्त करें। बोतल को रिसाइकिल के बदले पानी लिया जा सकता है या फिर एक रुपये मूल्ये का वैल्यू टोकन हासिल किया जा सकता है, जिसे कंपनी के मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए कैश किया जा सकता है।

इस वैल्यू टोकन को कंपनी के साथ करारबद्ध फार्मास्युटिकल्स, किराने की दुकान एवं आभूषण दुकानों के यहां भुनाया जा सकता है।

कंपनी के वरिष्ठ बिजनेस एसोसिएट अभिमन्यु सिंगला ने आईएएनएस को बताया, “समाज में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से इस मशीन का निर्माण किया गया है, ताकि लोगों को स्वच्छता के प्रति सचेत किया जा सका। वे यहां-वहां बोतलें फेंकने के बजाय इस मशीन में बोतलों को रिसाइकिल कर लाभ उठाएं।”

इस मशीन को आईआईटी बॉम्बे के कुछ छात्रों से तैयार करवाया गया है। इसे बनाने में लगभग चार रुपये की लागत आई है। इसे जनवरी 2016 में शुरू किया था और स्मार्ट सिटी एक्सपो में लांच किया है।

सिंगला कहते हैं, “हम आईआईटी बॉम्बे के छात्रों को फंडिंग भी कर रहे हैं, ताकि वे इसमें और सुधार कर सकें। इसके अंदर आरओ मैकेनिज्म हैं।”

मशीन में आरओ सिस्टम लगा है, जिसके जरिए पानी फिल्टर होता है। कंपनी इन मशीनों का सार्वजनिक स्थानों पर लगाने के लिए दिल्ली सरकार से बातचीत कर रही है।

कंपनी ने स्मार्ट सिटी में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘बॉक्स एग्रीकल्चर’ उत्पाद तैयार किया है। यह बॉक्स फाइबर का बना है। इस बॉक्स में जैविक सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं। इसके अंदर एक मोटर लगी है जो सेंसर लगे हैं, जो बॉक्स के तापमान, नमी के स्तर को सेंस कर मोटर को पानी छोड़ने के निर्देश देंगे।

इसकी खासियत यह है कि इस डिवाइस के ऊपर कृत्रिम सूर्य लगा है, जो उत्पादों में फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) प्रक्रिया में मदद करता है।

कंपनी के ग्लोबल हेड राजेश कपिला ने आईएएनएस को बताया, “बाजार से सब्जियां लाने में 60 प्रतिशत तक उसके पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं लेकिन अब हम इस एक उपकरण के जरिए अपने घरों में जैविक सब्जियां उगा सकते हैं।”

इसकी लागत लगभग 20,000 रुपये है। यह डिवाइस दस साल तक चलेगी लेकिन अच्छी देखभाल से यह 15 साल तक चल सकती है।

देश के कई बड़े हिस्से सूखे की मार से त्रस्त हैं। ऐसे में वर्षाजल संग्रह के लिए डिजाइन की गई ‘सेंसर छतरी’ पानी संग्रहित करने की दिशा में एक प्रशंसनीय प्रयास है, जिसकी आज के समय में बहुत जरूरत भी है।

सिंगला ने आईएएनएस को बताया, “किसी भी स्मार्ट सिटी में सेंसर छतरी होनी अनिवार्य है। इसमें लगे सेंसर वर्षा होने की संभावना को भांप कर स्वत: ही खुल जाते हैं और पानी को संग्रहित कर लेते हैं। इसके बाद छतरी की मोटर में जमा पानी को बड़ी आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।”

ऐसी छोटी-बड़ी ढेरों कंपनियां हैं, जो स्मार्ट सिटी का सपना सच करने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।

 

 

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