सुषमा के ‘वीडियो अटैक’ पर मीरा कुमार का तगड़ा पलटवार, एक झटके में कर दी सबकी बोलती बंद   

मीरा कुमारनई दिल्ली। विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति चुनाव की संयुक्त उम्मीदवार मीरा कुमार ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ‘वीडियो अटैक’ का करार जवाब दिया। साथ ही उन्होंने बार-बार उठ रही दलित कार्ड खेलनी की आवाज का भी पुरजोर विरोध किया। उन्होंने कहा कि दलित जाति को प्रमुखता देते हुए खड़े उमीदवारों का सरासर अपमान किया जा रहा है। उनके गुणों और विशेषता को दरकिनार किया जा रहा है। इससे समाज की सोंच का पता चलता है। अब वो चाहे मेरे लिए हो या कोविंद जी के लिए…   

मीरा कुमार ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि वह गुजरात के साबरमती आश्रम से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ‘विडियो अटैक’ का जवाब देते हुए मीरा कुमार ने कहा, ‘उस समय सभी ने अपने-अपने समापन भाषण दिए थे। सभी ने मेरी कार्यशैली की सराहना की थी। किसी ने भी यह आरोप नहीं लगाया था कि मेरा कार्य करने का ढंग पक्षपातपूर्ण था।’

बता दें कि सुषमा हाल ही में एक विडियो जारी करते हुए लोकसभा स्पीकर के तौर पर मीरा कुमार की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि 6 मिनट के भाषण में मीरा ने उन्हें 60 बार टोका था।

लोकसभा स्पीकर रहते हुए कथित तौर पर अपने रसूख के दम पर बंगले को स्मारक में तब्दील करने से जुड़े आरोपों का भी मीरा ने जवाब दिया।

सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मीरा ने कहा, ‘ये आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं। ये हमारी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जहां तक बंगले का सवाल है तो उसे सरकार ने एक सरकारी प्रतिष्ठान को दिया है… सरकारी दफ्तर के लिए दिया है।’

इसके अलावा बंगले का बकाया चुकाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उसे नियमों के हिसाब से निपटाया जा चुका है। पूरी पारदर्शिता के साथ जनता को सूचित करते हुए उनका निपटारा किया गया है।

गौरतलब है कि मीरा पर आरोप लगा था कि उन्होंने 6, कृष्ण मेनन मार्ग पर मिले बंगले को न सिर्फ 25 सालों यानी 2038 तक के लिए आवंटित करा लिया बल्कि उसे बाबू जगजीवन राम के स्मारक के रूप में बदल दिया।

नीतीश द्वारा एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मीरा ने कहा कि राजनीति में ऐसा होता है, यह कोई नई बात नहीं है।

उन्होंने कहा कि चुनाव में समर्थन हासिल करने के लिए निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को पत्र लिखा है, जिनमें नीतीश भी शामिल हैं। राष्ट्रपति चुनाव को जाति के नजरिए से देखे जाने की मीरा ने कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘इसके पहले जब भी राष्ट्रपति चुनाव हुए तो अनेक बार तथाकथित उच्च जाति के प्रत्याशी खड़े हुए, लेकिन उनकी जाति की चर्चा कभी नहीं हुई। मुझे याद नहीं कि कभी जाति की चर्चा हुई हो।

उन्होंने कहा कि जब दलित खड़े होते हैं… जैसे मैं खड़ी हूं, कोविंद जी खड़े हैं… तो चर्चा होती है कि दलित खड़े हैं, बाकी सारे गुण गौण हो जाते हैं।

इस बात से समाज में पनप रही सोंच का पता चलता है। भले ही आज लोग खुद को लेटेस्ट दुनिया का और पढ़ा लिखा बताते हों, लेकिन उनमें अभी भी जाति और धर्म को लेकर भेदभाव कहीं न कहीं जिंदा है।

किसी व्यक्ति की पहचान उसकी जाति के आधार पर नहीं बल्कि उसके गुणों और विशेषता के आधार पर की जानी चाहिए। बेहतर समाज के निर्माण की सोच यदि रखते है तो सबसे पहले जाति को गठरी में बाँध कर जमीन में गाड़ देना चाहिए। तभी हम देश के उज्जवल भविष्य की कामना कर सकते हैं।

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