सावधान! स्मार्टफोन का ऐसे करेंगे इस्तेमाल तो हो जाएंगे ‘नोमोफोबिया’ के शिकार
नई दिल्ली। स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करना तो कभी भी हमारे लिए अच्छे संकेत नहीं देता इससे आप बड़ी बीमारियों के शिकार भी हो सकते हैं। आप यहीं सोच रहे होंगे कि आखिर ये नया टर्म नोमोफोबिया क्या है? पक्का आपने इससे पहले यह शब्द नहीं सुना होगा।
तो इस खबर में आपको बताएंगे कि यह क्या है और कितना घातक हैं आपके लिए। आज के जवाने में इंसान मोबाइल पर पूरी तरह निर्भर हो चुका है। अगर गलती से भी वह थोड़ी देर अपने मोबाइल से दूर हो जाए तो उसे एक अजीब ही तड़पन होने लगती है। ऐसा ही कुछ नोमोफोबिया में होता है। मोबाइल खोने या पास ना होने पर जो चिंता होती है वह नोमोफोबिया कहलाती है।
असल में फोबिया शब्द जो है वो ग्रीक भाषा के एक शब्द हाइड्रोफीबिया से आया है जिसका मतलब होता है पानी से सम्पर्क में आने का मानसिक भय और फोबिया किसी भी तरह का हो सकता है। जिसका मतलब है अगर हमे किसी चीज़ का फोबिया है तो हम उस चीज़ के लिए मानसिक तौर पर थोड़े असहज है। इसे किसी भी स्थान वस्तु या गतिविधि से जोड़ा जा सकता है। और हमारी तकनीक की सदी यानि के इक्कीसवी सदी है, उसमे टेक्नोलोज़ी के बढ़ते इस्तेमाल ने मानवीय जीवन को सुगम बनाने के साथ साथ कई तरह की मानसिक समस्याएं हमे सौगात में दी है। जिसमे से नोमोबिया भी एक है। पिछले कुछ सालों में यह फोबिया आम हो चुका है।
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दुनियाभर में हुए कई शोध से पता चलता है कि यदि कोई लगातार स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है, वह ‘नोमोफोबिया’ बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इस खतरे से अभिभावक अनजान हैं और उन्होंने अपने बच्चों के भविष्य और स्वास्थ्य को लेकर गंभीरता से सोचना शुरू कर देना चाहिए। अभिभावकों को शायद यह अंदाजा ही नहीं है कि मोबाइल फोन की लत उनके बच्चों के लिए भयंकर शारीरिक तकलीफें ला सकता है।
दुनियाभर में हुए एक सर्वे में 84 फीसदी स्मार्टफोन उपभोक्ताओं ने स्वीकार किया कि वे एक दिन भी अपने फोन के बिना नहीं रह सकते हैं। स्मार्टफोन की इस लत यानि नोमोफोबिया हमारे शरीर के साथ-साथ हमारे दिमागी सेहत को भी प्रभावित करता है।
नोमोफोबिया से होने वाली बिमारी
– 70 फीसदी लोग मोबाइल स्क्रीन को देखते समय आंखें सिकोड़ते हैं। जिससे आंखें सूखने और धुंधला दिखने की समस्या हो जाती है।
– फोन का उपयोग करने पर कंधे और गर्दन झुके रहते हैं। झुके गर्दन की वजह से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होने लगती है।
– झुकी गर्दन की वजह से शरीर को पूरी या गहरी सांस लेने में समस्या होती है। इसका सीधा असर फेफड़ों पर पड़ता है। जिससे फेफड़ों कमजोर होने लगते है और सांस की बुमारी हो सकती है।
– लगातार टेक्स्ट मैसेज भेजने और वेब ब्राउजिंग करने से गर्दन पर असर होता है। जिससे गर्दन में असहनीय दर्द होता है।
– आजकल 75 फीसदी लोग अपने सेलफोन को बाथरूम में ले जाते हैं, जिससे फोन पर ई-कोलाई बैक्टीरिया के पाए जाने की आशंका बढ़ जाती है। इस बैक्टीरिया की वजह से डायरिया और किडनी फेल होने की आशंका होती है।
– रात में लगातार मोबाइल की रौशनी चहरे पर पड़ने से शारीर में मेलाटोनिन कम हो जाता है। जिससे नींद न आने की समस्या उत्पन्न हो जाती हैं।
– सर्वे मे 41 फीसदी लोग ने माना कि किसी के सामने मूर्ख लगने से बचने के लिए वे मोबाइल में उलझे होने की नौटंकी करते हैं। ऐसा करने से उनका आत्मविश्वास घटता है।