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शराब की दुकानोंभोपाल। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर राजमार्गो से हटाई गई शराब की दुकानों को मध्यप्रदेश में आबादी वाले इलाकों में स्थापित किए जाने पर नशा मुक्त भारत आंदोलन ने सख्त एतराज जताया है और राज्य सरकार से बिहार की तर्ज पर शराबबंदी का सख्त कानून बनाने की मांग की है। आंदोलन की प्रदेश प्रभारी अनुराधा भार्गव ने शुक्रवार को बताया कि राजमार्गो से शराब की दुकानें हटाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का राज्य में पूरी तरह पालन नहीं हो रहा है, कुछ दुकानें हटाकर आबादी वाले इलाकों में स्थापित कर दी गई हैं।

अनुराधा ने आगे कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यह तो स्वीकार कर ही चुके हैं कि शराब से नस्ल की नस्ल खराब हो रही हैं, और चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी करना चाहते हैं। नशा मुक्त आंदोलन की मांग है कि बिहार की तरह राज्य में भी कड़ा कानून बनाया जाए, ताकि शराब बनाने, पीने और पिलाने वालों को कड़ी सजा मिले।

संगठन ने राजमार्गो की दुकानों को पूरी तरह हटाने और आबादी वाले क्षेत्र में स्थापित की गई दुकानों को हटवाने के आंदोलन की रणनीति बनाने के लिए 21 मई को भोपाल में बैठक बुलाई है।

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राजमार्ग से शराब की दुकानें हटाकर आबादी इलाकों में स्थापित किए जाने का विरोध राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगभग पखवाड़े भर से चल रहा है। कहीं तोड़फोड़ हो रही है, तो कहीं धरना-प्रदर्शन का दौर जारी है। शराब से राजस्व की अच्छी आमद को देखते हुए प्रदेश सरकार असमंजस में है।

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