वैध हो व्यावसायिक अंगदान, प्रत्यारोपण खर्च में आयेगी कमी

व्यावसायिक अंगदानभारत में दो लाख से ज्यादा मरीज अंगदान का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में देश के प्रमुख चिकित्सा जानकारों का कहना है कि इन लंबित मामलों से एक-दो सालों में सिर्फ वैध व्यावसायिक अंगदान से ही निपटा जा सकता है। चिकित्सकों ने कहा कि वैध व्यावसायिक अंगदान से अस्पतालों को प्रत्यारोपण खर्चो में कमी लाने में मदद मिलेगी। इसकी मौजूदा कीमत प्रति प्रत्यारोपण 15 लाख रुपये से ज्यादा है।

गुड़गांव के पुष्पांजलि अस्पताल के प्रबंध निदेशक एस.पी. यादव ने बताया कि सरकार को यह एहसास होना चाहिए कि व्यावसायिक अंगदान को वैध बनाने से लंबे समय से अंगों का इंतजार कर रहे दो लाख लंबित मरीजों को सिर्फ एक-दो सालों में निपटा जा सकेगा।”

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उन्होंने कहा, “सरकार के व्यावसायिक अंगदान को वैध नहीं करने से चिकित्सक जिस प्रत्यारोपण को करने में सक्षम हैं उसे भी नहीं कर पा रहे हैं।”

चिकित्सा जानकारों के अनुसार, सरकार पैसे के बदले अंगदान के विषय की चर्चा ही नहीं करना चाहती है। सरकार को आशंका है कि गरीबों को पैसों का लालच देकर खरीद-बिक्री की जा सकती है।

हालांकि यादव ने कहा, वास्तव में व्यावसायिक अंगदान को वैध बनाकर सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि अंग दान की राशि दाता तक दलाल की बजाय सीधे पहुंचे।

एम्स के निदेशक और प्रसिद्ध शल्य चिकित्सक एम.सी. मिश्रा ने कहा, “वैध किए जाने से कम से कम निर्दोष लोगों को दलालों के शोषण से मुक्ति मिलेगी, जो उन्हें गुर्दा या दूसरे अंगदान करने पर वादा की गई राशि का भुगतान नहीं करते हैं। वैध किए जाने से उन्हें दलालों के चंगुल से बचने में मदद मिलेगी।”

पश्चिमी देशों में करीब 70-80 फीसद लोग अंगों के दान का संकल्प लेते हैं, भारत में सिर्फ करीब 0.01 फीसद लोग ऐसा करते हैं।

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