वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली सोनी गोमूत्र पान कर रोज सुबह गंगा पार करती हैं

soni_1460328370एजेन्सी/रोज गंगा पार होने का जतन ने विश्व रिकार्ड बनाने में सोनी के लिए वरदान साबित हुआ। वह छह महीने से प्रतिदिन आठ किलोमीटर नंग पांव रेत पर दौड़ने के साथ ही गंगा आर-पार होती थी। इससे उसने अपने पैरों को लंबे समय तक खड़ा रखने के लिए तैयार कर लिया था। यह खुलासा सोनी ने रविवार को अमर उजाला से बातचीत में किया।

केरल के त्रिचूर की हेमलता कमंडलु के 123 घंटा 20 मिनट के विश्व रिकार्ड की चुनौती का सामना करने के लिए सोनी ने जबरदस्त रियाज किया था। चंदन शहीद मजार पर चादर चढ़ाने पहुंची सोनी ने अपनी तैयारी से जुड़े दिलचस्प पहलुओं को बेबाकी से साझा किया।

उसने बताया कि आर्य महिला पीजी कॉलेज में 17 नवंबर 2015 को 87 घंटे 18 मिनट नृत्य करने के बाद दोबारा खड़ा होने की हिम्मत न जुटा पाने के पीछे पर्याप्त रियाज की कमी ही मूल वजह थी। इससे मैंने सीख लेकर दोबारा खुद को फिट रखने के लिए दो बड़े प्रयोग किए।

इसके लिए चार बजे भोर में ही उठकर अपने भाई पवन चौरसिया के साथ पंचगंगा घाट से नाव से उस पार जाती थी। इसके बाद मणिकर्णिका से रामनगर पीपा पुल तक नंगे पांव गंगा की रेत पर दौड़ती थी।

आठ किमी रेत पर दौड़ लगाने के बाद वह तैर कर गंगा पार होती थी। यह सिलसिला माउंट लिट्रा स्कूल में मंच पर पहुंचने के दिन तक चला। इससे लंबे समय तक टिक कर नृत्य करने की अचूक ताकत मिली। सोनी कहती है कि मांसपेशियों का खिंचाव कम होते ही वह फिर गंगा पार होने के साथ ही रेत पर दौड़ लगाना शुरू कर देगी, ताकि यह दृढ़ता बनी रहे। 

फिट रहने के लिए गोमूत्र पान करती है सोनी
सोनी की दिनचर्या का दौड़ना- तैरना तो अहम हिस्सा था ही, साथ ही वह फिट रहने के लिए अपने खानपान पर विशेष ध्यान रखती थी। सोनी बताती हैं कि सुबह वह शहद के साथ गोमूत्र लेना नहीं भूलती। इसके साथ ही कंवलगट्टे का हलवा और चुकंदर-अनार का जूस भी उसके लिए अचूक औषधि बना।विश्व कीर्तिमान बनाने वाली सोनी की मांसपेशियों में खिंचाव होने लगा है। तलुवा और पांवों में दर्द के बावजूद रविवार को चेहरे पर थकान की जगह सोनी ने मुस्कान बनाए रखा। चिकित्सकीय सलाह को देखते हुए लोगों का अनुमान था कि वह एहतियातन कुछ दिन अस्पताल में रहेंगी लेकिन उन्होंने सुबह लोगों के साथ नृत्य कर जहां सारे भ्रम तोड़े, वहीं चंदन शहीद बाबा की मजार पर चादर चढ़ाने भी पहुंचीं।

दिन के करीब 12 बजे घर से सफेद सूट में निकली सोनी ने गलियों में खड़े लोगों का मुस्कुराते हुए अभिवादन किया। किसी ने पूछा कि अरे अभी अस्पताल नहीं गई तो वह ठहाके लगाते हुए बोली, दादा इस बार ठीक हूं। चंदन शहीद जा रही हूं। बाबा की कृपा से सब कुछ हुआ है। पहले वहां हाजिरी लगाऊंगी।

सोनी अपने प्रशिक्षक राजेश डोगरा के साथ बाइक से चंदन शहीद पहुंचीं। वहां बाबा के दरबार में माथा टेका। दो चादरें चढ़ाईं। चंदन शहीद की सीढ़ियों पर चढ़ते समय उसे कई बार पैर मोड़ने में दिक्कत महसूस हुई तो साथ के लोगों ने सहारा देकर आगे बढ़ाया। सोनी कहती रही कि अभी कुछ दिन इसी तरह मांसपेशियों में खिंचाव के चलते दर्द महसूस होता रहेगा लेकिन पिछली बार की अपेक्षा बहुत फिट महसूस कर रही हूं। सोनी की कामयाबी से उनकी मां मधु चौरसिया की जिंदगी की सबसे बड़ी अरमान पूरी हो गई। कोई बधाई दे रहा है तो बेटी के रिकार्ड बनाने की उनकी खुशी कभी कांपते होठों से तो कभी भीगी पलकों से ही झलक रही है।

‘अमर उजाला’ की टीम रविवार की दोपहर उनके घर पहुंची तो वह मगही पान के पत्तों को छांटती मिलीं। घर में पान का पुश्तैनी पेशा है लेकिन पांच दिन से पूरे परिवार के सदस्य सोनी के साथ ही लगे रहे, इस वजह से मगही पान की कई टोकरियां खराब हो गई हैं।

उन्होंने पान फेरने का काम छिपाने की कोशिश की लेकिन फिर बताया कि क्या किया जाए, यही अपना धंधा है। इससे मुंह कैसे मोड़ सकते हैं। फिर उन्होंने बिटिया से जुड़ी दिल की बातें आत्मीयता के साथ साझा कीं।

मधु उन क्षणों की याद कर फफकने लगीं, जब तीन दिन पहले उनको ब्लड प्रेशर से परेशानी होने लगी थी और मंच पर नाच रही सोनी को इसकी भनक लग गई थी। तब सोनी ने कई बार आराम करने और सो जाने के लिए इशारा किया लेकिन उनका जी नहीं माना।

मधु ने बताया कि जब ब्रेक हुआ तब मैं सोनी के पास स्टेज के पीछे पहुंची। मैंने उससे यही कहा कि बेटी तुम दिन रात खड़ी होकर नाच सकती हो तो क्या मैं तुम्हारे आगे बैठ भी नहीं सकती। 

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